राम मनोहर लोहिया के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें लोहिया जी का परिचय एवं योगदान, लोकतंत्र का विचार, चौखंभा राज्य का सिद्धांत, विकेंद्रीकृत समाजवाद, सप्तक्रांति का सिद्धांत तथा राम मनोहर लोहिया की पुस्तकों एवं लेख का विवरण है।
राम मनोहर लोहिया का परिचय
इनका जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर (फैजाबाद) में हुआ था। 1924 में कंग्रेस के गया अधिवेशन में लोहिया जी प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे। लोहिया जी 1928 में ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन’ में भी शामिल हुए। 1934 में लोहिया जी ‘कांग्रेसी समाजवादी दल’ के संस्थापकों में शामिल थे। तथा 1934 में ही ‘कांग्रेस-सोशलिस्ट’ साप्ताहिक पत्र का संपादन भी किया था। 1955 में इनके द्वारा ‘भारतीय समाजवादी दल’ का निर्माण किया गया। इन्होंने हिंद मजदुर सभा और हिंद किसान पंचायत का गठन किया गया।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का भूमिगत रहकर संचालन किया। इसी समय में कांग्रेस के इलाहाबाद अधिवेशन में लोहिया जी ने नेहरू जी को ‘झट पलटने वाला नर’ कहा। ध्यातव्य है कि 20 जून 1949 को लोहिया दिवस के रूप में मवाया गया। लोहिया जी के द्वारा अंग्रेजी हटाओ का अभियान भी चलाया गया।
लोहिया जी ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय में 4 सूत्रीय मुद्दों को लेकर विरोध किया जिसमें –
- युद्ध के लिए भारतीयों की भर्ती का विरोध करना।
- देशी रियासतों में आंदोलन करना।
- बंदरगाहों से जहाजों पर ब्रिटिश माल उतारने से इंकार करने के लिए मजदूर संगठनों को प्रेरित करना।
- युद्ध कर्ज को मंजूर तथा अदा न करना।
लोकतंत्र का विचार
राम मनोहर लोहिया लोकतांत्रिक समजवादी विचाक है। इसलिए ये साम्यवाद और पूँजीवाद दोनो के विरोधी थे। लोहिया जी ने अपनी पुस्तक ‘मार्क्स, गाँधी एंड सोशलिज्म’ में रचनात्मक कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए एक उपयुक्त दर्शन के रूप में लोकतांत्रिक समाजवाद के सिद्धांतों का विश्लेषण किया है।
लोहिया जी ने समाजवादी प्रजातंत्र पर बल दिया। यद्यपि राम मनोहर लोहिया द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के समर्थक थे लेकिन उन्होंने अधिक जोर चेतना पर किया है। इनके अनुसार लोकतंत्र में शक्ति का स्रोत नीचे से ऊपर होना चाहिए न कि ऊपर से नीचे की ओर। इससे संबंधित ही ‘चौखम्भा राज्य’ का सिद्धांत दिया।
चौखंभा राज्य का सिद्धांत
लोहिया ने अपनी पुस्तक ‘आस्पैक्ट्स ऑफ सोशलिस्ट पॉलिसी’ 1952 में यह बात कही कि समाज की संरचना में चार परतें पायी जाती हैं जिसमें गाँव, मंडल, प्रांत और राष्ट्र है। जिसे लोहिया ने ‘चौखंभा राज्य’ की संज्ञा दी है। लोहिया जी ने 1949 में पटना में सोशलिस्ट पार्टी का दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘चौखम्भा राज्य’ की संकल्पना प्रस्तुत की।
राज्य के चारों खम्भों (ग्राम, मंडल, प्रांत व केंद्र) में शक्तियों का बिखराव होगा। इसके अंतर्गत राज्य की सशस्त्र सेना केंद्र के अधीन, सशस्त्र पुलिस प्रांत व अन्य पुलिस मंडल ग्राम के अधीन होगी।
चौखम्भा शासन का उद्देश्य व्यक्ति को राजनीतिक, सांस्कृतिक व आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना है। इन्होंने भारतीय संघात्मक शासन का विरोध किया, जो केंद्रीयकरण पर आधारित है।
विश्व संसद व सरकार
राम मनोहर लोहिया के राजनीतिक विचार के अनुसार राजनीतिक व्यवस्था में वयस्क मताधिकार पर चुनी व सीमित अधिकार वाली विश्व सरकार का पांचवां खंभा भी जोड़ा जाना चाहिए। इसके साथ ही विश्व संसद के निर्माण का सुझाव भी दिया। लोहिया जी भारत और पाकिस्तान के बीच एक परिसंघात्मक शासन व्यवस्था का स्थापित करना चाहते थे।
विकेन्द्रिकृत समाजवाद
राम मनोहर लोहिया विकेन्द्रित समाजवाद के समर्थक थे। लोहिया के अनुसार यूरोपीय समाजवाद में इथोस (लोकाचार), इलान (उत्साह) और जिवंतता का अभाव है।
लोहिया जी ने समाजवाद को समानता तथा संपन्नता के प्रतीक माना। इनके अनुसार समाजवाद के तीन प्रमुख तत्व है। जिसमें सभी उद्योगों तथा बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण, समूचे संसार में जीवन स्तर सुधारना तथा एक विश्व संसद की स्थापना शामिल है।
आर्थिक समाजवाद की स्थापना हेतु कुटीर उद्योग, आर्थिक एवं राजनीतिक विकेंद्रीकरण तथा ग्राम पंचायतों की स्थापना को समाजवादी लक्ष्य माना है।
सप्त क्रांति का सिद्धांत
लोहिया जी ने सप्तक्रांति का सिद्धांत दिया। जिसमें इनके द्वारा समाज मे सुधार के लिए सात क्रांतियों की आवश्याकता बताई गई है। जो निम्न प्रकार है।
- स्त्री-पुरुष की समानता के लिए क्रांति।
- जमड़ी के रंग पर रची राजकीय, आर्थिक व दिमागी असमानता के विरुद्ध क्रांति।
- संस्कारगत, जन्मजात, जाति प्रथा के खिलाफ व पिछड़ों को विशेष अवसर के लिए क्रांति।
- विदेशी गुलामी के खिलाफ तथा स्वतंत्रता एवं विश्व लोकतंत्र के लिए क्रांति।
- निजी पूंजी की विषमताओं के खिलाफ व आर्थिक समानता के लिए तथा योजना द्वारा पैदावार बढ़ाने हेतु क्रांति।
- निजी जीवन में अन्यायी हस्तक्षेप के खिलाफ व लोकतंत्र पद्धति के लिए क्रांति।
- अस्त्र-शस्त्र के खिलाफ व सत्याग्रह के लिए क्रांति।
राम मनोहर लोहिया की पुस्तकें एवं लेख
- मार्क्स,गाँधी एंड सोशलिज्म (1952)
- इतिहास चक्र (व्हील ऑफ हिस्ट्री) (1955)
- भारतीय शिल्प
- मार्क्सवाद एवं समाजवाद
- समदृष्टि
- समाजवादी चिंतन
- संसदीय आचरण
- साल्ट टेक्सेशन इन इंडिया
- फ्रिग्मेंट्स ऑफ वर्ड माइंड (1949)
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