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रॉबर्ट नॉजिक के राजनीतिक सिद्धांत

रॉबर्ट नॉजिक के राजनीतिक सिद्धांत के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें रॉबर्ट नॉजिक का परिचय, रॉबर्ट नॉजिक के राज्य का विचार, रॉबर्ट नॉजिक के अधिकार का सिद्धांत , रॉबर्ट नॉजिक के न्याय का ऐतिहासिक सिद्धांत, रॉबर्ट नॉजिक के न्याय का अधिकारिता सिद्धांत या पात्रता का सिद्धांत, रॉबर्ट नॉजिक के राजनीतिक विचार (चिंतन) के मुख्य बिन्दु तथा नॉजिक की पुस्तकों का विवरण है।

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रॉबर्ट नॉजिक का परिचय

समकालीन अमेरिकी दार्शनिक रॉबर्ट नॉजिक का जन्म 16 नवंबर 1938 को ब्रूकलिन न्यूयॉर्क में हुआ था। नॉजिक स्वेच्छातंत्रवादी या नव-उदारवादी या नव-दक्षिणवादी विचारधारा के प्रमुख विचारक थे। किन्तु वे स्वेच्छातंत्रवाद से अराजकतावाद की ओर बढ़ जाते हैं। स्वेच्छातंत्रवाद समकालीन उदारवाद की एक विचार धारा है जिसमें निर्बाध स्वतंत्रता, निजीकरण, सम्पत्ति का अधिकार, अहस्तक्षेप, न्यूनतम राज्य, रात्रि प्रहरी राज्य, खुला व एडम स्मिथ वाले अदृश्य हाथ की संकल्पनाओं को स्वीकार किया जाता है। नॉजिक के विचारों पर भी उदारवादी विचार काण्ट व लॉक का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है।

रॉबर्ट नॉजिक के राज्य का विचार

रॉबर्ट नॉजिक ने अपनी पुस्तक ‘एनार्की, स्टेट एंड यूटोपिया’ 1974 में अपने राज्य संबंधी विचार दिये हैं। जिसमें नॉजिक ने बाजारवादी आर्थिक व्यवस्था का समर्थन किया है। इस प्रकार रॉबर्ट नॉजिक ने ‘न्यूनतम राज्य का सिद्धात’ ( द मिनिमल स्टेट या एनटाईटलमेंट थ्योरी) प्रस्तुत किया है। जिसमें राज्य की शक्तियाँ केवल वहीं तक वैध हैं, जहां तक वे व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा में सहायक होती है। रॉबर्ट नॉजिक ने राज्य का मुख्य कार्य व्यक्तियों की सम्पत्ति की रक्षा करना माना है।

आर. नॉजिक ने कल्याणकारी राज्य का एक प्रकार की दासता के रूप में वर्णन किया है। वह कल्याणकारी राज्य का घोर विरोध करता है। नॉजिक व्यक्ति को साध्य मानते हुए व्यक्तियों की स्वतंत्र गतिविधियों में राज्य के हस्तक्षेप को अनुचित ठहराया। रॉबर्ट नॉजिक आपसी सहयोग और परास्परिकता के आधार पर एक सहकारी उद्यम के रूप में समाज के विचार को नकारता है।

रॉबर्ट नॉजिक के अधिकार का सिद्धांत

नॉजिक के विचारों में अधिकारों का स्वेच्छातंत्रवादी सिद्धांत मिलता है। यह सिद्धांत व्यक्तिगत अधिकरों पर बल देता है। और अधिकारों में राज्य के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है। इसीलिए नॉजिक के अधिकारों का सिद्धांत नकारात्मक है। लॉक की भांति ही नॉजिक ने भी संपत्ति के अधिकार को प्राथमिकता देता है। नॉजिक के अनुसार सम्पत्ति व्यक्ति के आत्मस्वमित्व का एक भाग होती है।

रॉबर्ट नॉजिक के न्याय का सिद्धांत

नॉजिक ने न्याय से संबंधित अपने विचारों को ‘न्याय की ऐतिहासिक संकल्पना’ नाम दिया है। नॉजिक का प्रसिद्ध कथन है कि, न्याय इतिहास का मामला है, न कि साध्य स्थितियों का। साध्य मूलक सिद्धांत में संसाधनों का बटवारा प्रक्रिया की बजाय साध्य (उद्देश्य) व परिणाम को ध्यान में रखकर किया जाता है। जिसे सामाजिक न्याय सिद्धांत भी कहा जाता है। जबकि ऐतिहासिक सिद्धांत के अंतर्गत परिणाम के स्थान पर प्रक्रिया को महत्व दिया जाता है। जिसमें व्यक्तियों के द्वारा अतीत में किए गये कार्यों के आधार पर संसाधनों पर स्वामित्व तय किया जाता है।

रॉबर्ट नॉजिक का कथन है कि, जो जैसा चयन करे, जिसका जैसा चयन हो, यही न्याय है। नॉजिक का मानना है कि लोगों की काम करने की क्षमताएँ एवं योग्यताएँ भिन्न-भिन्न होती है। इसलिए उन लोगा का सम्पत्ति की हिस्सेदारी व अधिकार में अंतर होता है। और किसी भी साध्य की प्राप्ति के लिए उसकी सम्पत्ति में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार न्याय का प्रक्रियात्मक या ऐतिहासिक सिद्धांत सम्पत्ति का असीमित अधिकार प्रदान करता है। इसी सिद्धांत को फल-निरपेक्ष या परिणाम निरपेक्ष सिद्धांत भी कहा जाता है।

रॉबर्ट नॉजिक के न्याय का अधिकारिता सिद्धांत या पात्रता का सिद्धांत

रॉबर्ट नॉजिक ने जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत की आलोचना की और उसके विकल्प को आगे बढ़ाया जिसका प्रमुख लक्षण हकदारी है। यह समानता व कल्याण की बजाये स्वतंत्रता व योग्यता (पात्रता) पर बल देता है। इस सिद्धांत को पूर्ण न्याय का सिद्धांत भी कहते है। रॉबर्ट नॉजिक ने अपने न्याय सिद्धांत के लिए कुछ शर्तें बताई हैं। इनके अनुसार आरंभ में सभी सम्पत्तियां अनर्जित थीं। व्यक्ति, सम्पत्ति का अर्जन करने के लिए स्वतंत्र है। परंतु सम्पत्ति का अर्जन व स्थानांतरण दोनों ही वैध होने चाहिए। अवैध होने पर राज्य द्वारा दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

रॉबर्ट नॉजिक ने न्याय के अधिकारिता सिद्धांत के मुख्यतः तीन नियम बताए हैं।

  1. न्यायपूर्ण अधिग्रहण – अर्थात् ऐसी सम्पत्ति या वस्तुएं जिन पर पहले से किसी व्यक्ति का अधिकार व दावा न हो तथा किसी अन्य व्यक्ति को बदतर स्थिति में न डालती हो, का अधिग्रहण ही न्याय पूर्ण अधिग्रहण है।
  2. न्यायपूर्ण हस्तान्तरण – इस नियम के तहत सम्पत्ति का मालिक स्वेच्छासे कहीं भी संपत्ति को खर्च, स्थानान्तरण या गिफ्ट कर सकता है। किन्तु सम्पत्ति का अधिग्रहण न्यायपूर्ण होना चाहिए।
  3. अन्याय के परिष्कार का नियम – यह नियम राज्य को शक्ति प्रदान करता है। अगर किसी व्यक्ति ने अतीत में अन्यायपूर्ण तरीके से सम्पत्ति का अधिग्रहण या हस्तांतरण किया है,तब राज्य हस्तक्षेप कर सकता है। और परिशोधन कर उस व्यक्ति पर टैक्स, जुर्माना या दण्ड लगाता है।

रॉबर्ट नॉजिक के राजनीतिक विचार (चिंतन) के मुख्य बिन्दु –

  1. नॉजिक अहरणीय प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत में विश्वास रखते थे।
  2. अत्यल्प राज्य विवेकपूर्ण आधार पर एकमात्र न्यायोचित राज्य है।
  3. न्याय प्रक्रियात्मक है, ना कि वितरणात्मक।

रॉबर्ट नॉजिक की पुस्तकें

  1. एनार्की स्टेट एंड यूटोपिया 1974
  2. द जिक जैक ऑफ पॉलिटिक्स 1989
  3. द एक्जामिन्ड लाईफ 1989
  4. द नेचर ऑफ रैशनैलिटी 1993

इन्हें भी पढ़े –

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