मोहम्मद इकबाल के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें मोहम्मद इकबाल का परिचय, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रारंभिक दौर में इकबाल के विचार, भारत विभाजन का विचार, इस्लामिक राष्ट्रवाद का विचार, मोहम्मद इकबाल का खुदी का सिद्धांत, पूंजीवाद से संबंधित विचार, पाश्चात्यीकरण के संबंध में विचार तथा मोहम्मद इकबाल की पुस्तकों का विवरण है।
मोहम्मद इकबाल का परिचय
अविभाजिक भारत के कवि, नेता और दार्शनिक मोहम्मद इकबाल का जन्म 9 नवम्बर 1877 को पंजाब के सियालकोट में हुआ। इनका अन्य नाम ‘अल्लामा इकबाल’ भी है, लेकिन इन्हें ईरान और अफगानिस्तान में ‘इकबाल-ए-लाहौर’ के नाम से जाना जाता है।
इन्होंने अपनी एम.ए. की डिग्री लाहौर से तथा दर्शन का आध्ययन कैंब्रिज से किया था। 1908 में इन्होंने म्युनिख विश्वविद्यालय से ‘द डेवलपमेंट ऑफ मैटाफिजिक्स इन पर्सिया’ नामक थीसिस में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त कि थी। 1922 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा इन्हें ‘सर’ के खिताब से नबाजा गया। इंग्लैड में आयोजित हुए गोलमेज सम्मेलनों में इकबाल ने मुसलमानों का प्रतिनिधित्व किया था।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रारंभिक दौर में इकबाल के विचार
प्रारंभिक दौर में इकबाल राष्ट्रवाद, हिंदु-मुस्लिम एकता और देशभक्ति के समर्थक थे। देश को विदेशी शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। इकबाल ने भारत के लिए ‘तराना-ए-हिन्द’ लिखा था। जिसमें इन्होंने “सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा” लिखा था। इनकी एक अन्य कविता ‘परिंदे की फरियाद’ भी राष्ट्रीय ऐकता का समर्थन करती है। 1909 के पृथक निर्वाचन के विरुद्ध इन्हेंने कहा कि एक ऐसा नया शिवाला बने जिसमें सभी धार्मिक भेदभाव समाप्त हो जाए तथा भारत के प्रेम व भक्ति की भावना बनी रहे।
मोहम्मद इकबाल का भारत-विभाजन का विचार
मोहम्मद इकबाल को पाकिस्तान का आध्यात्मिक पिता कहा जाता है। क्योंकि इन्होंने पाकिस्तान के निर्माण के संबंध में अपने विचार प्रतुत किए थे। इकबाल ने पंजाब, उ.प्र. फ्रंटियर प्रांत, सिंध एवं बलूचिस्तान को मिलाकर एक स्वतंत्र राज्य बनाने का प्रस्ताब रखा था।
1930 में मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन में इकबाल की ही अध्यक्षता में पहली बार पाकिस्तान की मांग की गई थी। जिसका सैद्धांतिक आधार स्वयं इकबाल ने ही रखा था। इस प्रकार सर्वप्रथम इकबाल ने द्वारा ही भारत के विभाजन एवं पाकिस्तान की स्थापना का विचार दिया गया।
मोहम्मद इकबाल का इस्लामिक राष्ट्रवाद का विचार
मोहम्मद इकबाल के राजनीतिक विचार के अंतर्गत इकबाल जी ने मुस्लिम राष्ट्रीयता एवं सर्वइस्लामवाद (सम्पूर्ण विश्व के मुसलमानों में एकता का विचार) पर बल दिया था। इकबाल का मानना था कि सरकार धर्म पर आधारित होनी चाहिए। और धर्म को सर्वोच्च सत्ता के रूप में माना।
इनका मानना था कि धर्मनिरपेक्ष राज्य लोगों की समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता। इस प्रकार इन्होंने एसी राष्ट्रीयता का विचार दिया जिसका आधार धर्म है। अतः धर्म के आधार पर पाकिस्तान नामक राज्य की मांग की। जिसके लिए इकबान ने ‘तराना-ए-मिली’ लिखा था। जिसमें इन्होंने लिखा “चीन-ओ-अरब हमारा, हिन्दोस्तां हमारा, मुस्लिम है,वतन सारा जहां हमारा।”
मोहम्मद इकबाल का खुदी का सिद्धांत
खुदी का सिद्धांत मोहम्मद इकबाल के द्वारा दिया गया। धर्म में अत्यधिक विश्वास होने के कारण इकबाल ने खुदा को सृष्टि के नियंता के रूप में माना है। लेकिन इन्होंने खुदी (व्यक्ति) की वैयक्तिकता का वर्चस्व स्थापित करने का प्रयत्न किया। अर्थात् इकबाल का खुदी का सिद्धांत केवल आत्मा ही नहीं बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का पर्याय है। इस प्रकार इन्होंने आत्मा व शरीर के गुण समान बताए हैं।
इकबाल के अनुसार मनुष्य का नैतिक व धार्मिक आदर्श जीवन को स्वीकार करना है, न कि उसे ठुकराना। इस आदर्श की प्राप्ति व्यक्तित्व के विकास से ही संभव है। खुदी व्यक्तित्व के विकास का चरम बिंदु है। इकबाल के अनुसार व्यक्तित्व के विकास के लिए तीन नियम हैं-
- व्यक्ति को स्वयं के व्यक्तित्व का विकास करने के लिए धर्म की आज्ञा का पालन करना होगा।
- व्यक्ति को आत्मनियंत्रण करना होगा। जिसके अभाव में व्यक्तित्व पूर्ण नहीं हो सकता।
- व्यक्ति को पृथ्वी पर भगवान का प्रतिनिधि बवकर रहना होगा।
मोहम्मद इकबाल के पूंजीवाद से संबंधित विचार
इकबाल पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ थे। इन्होंने हर प्रकार के शोषण का विरोध किया, किसानों और मजदूरों की वकालत की, और पुंजीवाद से पैदा होने वाली विषमताओं के विरूद्ध क्रांति की भी भविष्यवाणी की थी। इकबाल ने मानव के व्यक्तित्व के विकास पर जोर दिया जिसके लिए इन्होंने पुंजीवादी व्यवस्था को सही नहीं माना क्योंकि इस व्यवस्था में मनुष्य मशीन बनकर रह जाता है।
मोहम्मद इकबाल के पाश्चात्यीकरण के संबंध में विचार
इकबास ने पश्चिमी देशों की भौतिकवादी जीवन शैली का विरोध किया और यूरोप के अंधानुकरण को हानिकारक बताया। क्योंकि पश्चिमी सभ्यता तर्क व बुद्धि पर आधारित है जबकि इन्होंने प्रेम, अनुभूति एवं धर्म पर बल दिया है। इसी कारण राजनीति को धर्म से अलग करने वाले विचारक मैकियावेली को इन्होंने ‘शैतान का संदेशवाहक’ कहा भी है।
मोहम्मद इकबाल की पुस्तकें –
- असरार ए खुदी
- तराना ए हिंद
- रुमुज़ ए बेखुदी
- द बंग ए दारा
- द डेवलपमेंट ऑफ मैटाफिजिक्स इन परसिया 2008
- द सीक्रेट्स ऑफ द सेल्फ 1915
- मैसेज फ्रॉम द ईस्ट 1923
- द कॉल ऑफ द मार्चिंग बेल 1924
- जबूर-ए-आजम 1927
- द रिकन्स्ट्रक्शन ऑफ रिलीजियस थॉट: इन इस्लाम 1930
- जाविद नामा 1932
- गैब्रिएल्स विंग 1935
- द रोड़ ऑफ मोजेज 1936
- स्ट्रे रिफ्लेक्शन 1961
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