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ज्यां बोदां के राजनीतिक विचार

ज्यां बोदां के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें ज्यां बोदां का परिचय एवं प्रभाव, ज्यां बोदां के राज्य संबंधी विचार, बोदां के राज्य की विशेषताएं, ज्यां बोदां के सरकार संबंधित विचार, ज्यां बोदां के सम्प्रभुता संबंधी विचार, बोदां की संप्रभुता की विषेशताएं, संप्रभुता की सीमाएं तथा ज्यां बोदां की पुस्तकों का विवरण है।

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ज्यां बोदा का परिचय

सोलहवी शताब्दी का प्रसिद्ध फ्रासीसी राजनीतिक दार्शनिक, ज्यां बोदां का जन्म 1530 में हुआ था। राजनीति में बोदां का मुख्य योगदान प्रभुसत्ता की संकल्पना और आधुनिक पूर्णसत्तावाद का सिद्धांत है।

16वीं शताब्दी में फ्रांस में गृह कलह और धर्मयुद्धों का अखाड़ा बना हुआ था। बोदां के समय में पोलीटिकोज (Politiques) नामक धार्मिक आन्दोलन हो रहा था। जिसमें धार्मिक सहिष्णुता का समर्थन किया गया था। ज्यां बोदां के राजनीतिक विचार में तथा बोदां के जीवन पर इस आंदोनल का व्यापक प्रभाव पड़ा था। इसी कारण बोदां का धार्मिक सहिष्णुता के साथ इन्द्रजाल, प्रेत विद्या आदि में विश्वास था। इसी बात को सेबाइन ने अपने शब्दों में कहा कि “बोदां अंधविश्वास, बुद्धिवाद रहस्यवाद उपयोगितावाद और पुराणवाद का अनुपम सम्मिश्रण था।”

ज्यां बोदां के राज्य संबंधी विचार

बोदां ने राज्य को धार्मिकता से पृथक किया। क्योंकि इसका मानना था कि राज्य की शक्ति निरपेक्ष है जो उसके समस्त नागरिकों को नैतिक रूप से मान्य है। बोदां के अनुसार राज्य का समुचित कार्य सामाजिक कल्याण की अभिवृद्धि करना है, न कि धर्म को कायम करना।

बोदां का मुख्य उद्देश्य राज्य के प्राधिकार की महत्ता सिद्ध करना था, व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं और अधिकारों की रक्षा करना नहीं था। इसी कारण बोदां ने राज्य को इस प्रकार परिभाषित किया है कि “राज्य परिवारों तथा उनकी सामान्य सम्पत्ति का एक समुदाय है जिसके ऊपर सर्वोच्च शक्ति तथा विवेक का शासन है।”

बोदां के राज्य की विशेषताएं –

  • बोदां के अनुसार राज्य शक्ति की उपज है।
  • राज्य पर विवेक का शासन होना चाहिए।
  • परिवार, राज्य की आधारशिला है।
  • राज्य पर सर्वोच्च शक्ति का शासन होना चाहिए। इस प्रकार सम्प्रभुता को राज्य का विशेष गुण माना है। जो (संप्रभुता) राज्य में निहित हो सकती है।
  • राज्य में स्थाई व अविभाज्य शक्ति का निवास होना चाहिए जिससे अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो।
  • सम्प्रभुता ही राज्य को अन्य समुदायों से पृथक करती है। इसके न रहने पर राज्य का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता है।

ज्यां बोदां के सरकार संबंधित विचार

बोदां ने राज्य को सरकार से पृथक माना है। इनके अनुसार एक तहफ राज्य संप्रभुता में निहित होता है। दूसरी तरफ सरकार संप्रभुता के प्रयोग के आधार पर निर्भर करती है। इसी आधार पर शासन व्यवस्थाओं के निम्न प्रकार है।

  1. यदि राज्य में संप्रभुता एक व्यक्ति में निहित होती है, तो वहां राजतंत्रीय शासन व्यवस्था होती है।
  2. यदि राज्य में संप्रभुता कुछ व्यक्तियों में होती है, तो वहां कुलीनतंत्रीय शासन व्यवस्था होती है।
  3. यदि राज्य में संप्रभुता समस्त जनसाधारण में होती है, तो वहां लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था होती है।

बोदां ने इन तीनों रूपों में से राजतंत्र को सर्वश्रेष्ठ माना है।

ज्यां बोदां के सम्प्रभुता संबंधी विचार

संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाला बोदां सर्वप्रथम राजनितिक दार्शनिक था। ज्यां बोदां के राजनीतिक विचार के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। बोदां ने अनुसार, संप्रभुता एक राज्य में शासन करने की निरपेक्ष तथा स्थायी शक्ति है। वह नागरिकों के ऊपर सर्वोच्च शक्ति है जिसके ऊपर कानून की कोई सीमा नहीं है। बोदां ने माना कि राज्य अपने क्षेत्र के अन्तर्गत रहने वाले समस्त नागरिकों तथा जनता पर निरपेक्ष तथा अन्तिम शक्ति रखता है।

बोदां की संप्रभुता की विषेशताएं

  1. संप्रभुता स्थाई, अविभाज्य और अदेय होती है।
  2. संप्रभुता समाज की इच्छा की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।
  3. सम्प्रभुता पर कानून की कोई सीमाएं नहीं होती है।
  4. राज्य की सर्वोच्च शक्ति होती है। जो राज्य में स्वभावतः पाई जाती हैं।
  5. संप्रभुता विधायनी क्रियाओं पर पूर्ण अधिकार रखती है।
  6. संप्रभुता विवेक पर आधारित होती है न कि निरंकुश सत्ता।

संप्रभुता की सीमाएं

  1. यद्यपि बोदां, संप्रभुता पर किसी का नियंत्रण नहीं को नहीं मानता किंतु वह ईश्वरीय या प्रकृतिक कानून की अधीनता को स्वीकार करता है।
  2. बोदां ने सांविधानिक कानून की प्रधानता को स्वीकार किया।
  3. बोदां ने निजी सम्पत्ति को पवित्र माना है इस लिए निजी सम्पत्ति की अपहरणीयता पर संप्रभुता की शक्ति सीमित है।

ज्यां बोदां की पुस्तकें

  1. रेसपॉन्स (Response)
  2. डेमीनोमैनी (Demenomanie)
  3. हेप्टाप्लोमर्स (Heptaplomeres)
  4. यूनिवर्स नेचर थियेट्रम (Universe Nature Theatrum)
  5. बुक्स कन्सर्निंग द स्टेट (Books Concerning the State)
  6. सिक्स लिवर्स डि-लॉ-रिपब्लिक (Six Livers De-La-Republique) – इसमें गणराज्य की 6 पुस्तकें हैं।

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