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उदारवादी सिद्धांत

उदारवादी सिद्धांत के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। इसमें उदारवाद का अर्थ, उदारवादी राज्य की प्रकृति, शास्त्रीय उदावाद, नव उदारवाद, गौरवपूर्ण क्रांति और उदारवाद, उदारवादी कल्याणकारी राज्य की प्रकृति, अन्य महत्वपूर्ण तथ्य से संबंधित विवरण है। जो TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित है।

उदारवाद का अर्थ

उदारवाद को अंग्रेजी भाषा में ‘लिबरलिज्म’ कहते है। लिबरलिज्म शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘लिबर’ से हुई है जिसका अर्थ ‘स्वतंत्रता’ है। उदारवाद शब्द का प्रथम प्रयोग स्पेन में 1812 ई. में किया गया। उदार पद स्वाधीन व्यक्तियों के उस वर्ग को संदर्भित करता है जो न तो कृषिदास हैं न ही दास हैं।
उदारवाद की अवधारणा सामन्तवाद के पतन और बाजार अर्थव्यवस्था (पूँजीवाद) की स्थापना के लिए अस्तित्व में आई। बजारवाद प्रतिस्पर्धा पर आधारित धारणा है। उदारवाद पूँजीवादियों (धनवानों) का हित चाहता है।

शास्त्रीय उदारवाद

उदारवाद या पारंपरिक उदारवाद का जनक और उदार राजनीतिक दर्शन का पिता जॉन लॉक को कहा जाता है। क्योंकि लॉक सीमित सरकार की रूपरेखा प्रस्तुत करने वाला पहला विचारक था। उदारवाद व्यक्ति केन्द्रित विचारधारा है। उदारवादी सिद्धांत व्यक्ति को साध्य और राज्य को साधन मानता है। क्योंकि उदारवादी व्यक्ति को विवेकशील मानते है। इसीकारण उदारवाद का मूल तत्व वैयक्तिक स्वतंत्रता है। पारंपरिक (शास्त्रीय) उदारवाद राज्य को एक आवश्यक बुराई मानता है। शास्त्रीय उदारवाद का पुवरुज्जीवन 1970 के दशक में विश्व मंदी के प्रारंभ में एक प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था।

वस्तुतः उदरवाद व्यक्तिवाद और लोकतंत्र का मिश्रण है। मैक्गवर्न के शब्दों में एक राजनीतिक सिद्धांत के रूप में उदारवाद दो पृथक तत्वो का मिश्रण है जो लोकतंत्र और व्यक्तिवाद है। 

एडम स्मिथ का उदारवाद

एडम स्मिथ की पुस्तक का नाम द वेल्थ ऑफ नेशन (1776) है जिसमे उदारवादी राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आवश्यक रूपरखा प्रदान की गई है। राजनीतिक क्षेत्र में उदारवाद ने चिन्तन, लेखन, अभिव्यक्ति तथा प्रकाशन की स्वतंत्रता को महत्व दिया है। और निजी संपत्ति को प्रगति की आवश्यक शर्त माना है।
एडम स्मिथ के द्वारा आर्थिक मानव की संपल्पना का प्रतिपादन किया है। स्मिथ आर्थिक क्षेत्र में व्यक्तिवाद का महान समर्थक है। वे अहस्तक्षेपवाद के पक्षधर थे, किन्तु न्युनतम राज्य के नहीं क्योंकि उन्होंने शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं श्रम-नियमों में बड़ी संख्या में सरकारी कार्यक्रमों का समर्थन किया था

उदारवाद के अनुसार राज्य की प्रकृति

उदारवादी राज्य –
राज्य एक मानव निर्मित संस्था है।
राज्य की सत्ता का आधार व्यक्ति की सहमति है।
राज्य कानून व्यवस्था बनाये रखने तक सीमित है।
राज्य का कार्य न्याय प्रशासन करना और बाह्य आक्रमण से रक्षा करना है

उदारवादी लोकतंत्र

लोकतंत्र, उदारवादी लोकतंत्र के रूप शास्त्रीय उदारवादी लोकतंत्र, बहुलवादी लोकतंत्र, नव बहुलवाद है।
सी बी मेकफर्सन ने उदारवादी लोकतंत्र का अधिकारात्मक व्यक्तिवाद के आधार पर परीक्षण किया।
उदारवादी लोकतंत्र की विशेषताएँ –

  • विधि का शासन,
  • राजनीतिक शक्तियों का विभाजन,
  • मौलिक अधिकारों का प्रावधान,
  • प्रतिस्पर्धी समूह,
  • सीमित सरकार,
  • प्रतिनिधि सरकार,
  • लोक कल्याणकारी राज्य,
  • राज्य के सीमित कार्य।

पूँजीवादी व्यवस्था के अंदर एक व्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए छुटपुट समायोजनों के सुझाव उदारवादी व्यक्तिवादी सिद्धांत ने दिए हैं।

नव उदारवाद

हेयक को नव-उदारवादी पूँजीवाद का बौद्धिक जनक समझा जाता है। नव उदारवादी विचारकों में एफ. ए. हेयक, मिल्टन फ्रीडमैन, रॉबर्ट नॉजिक है। वेबर नव-उदारवादी क्रांति के सिद्धांत का समर्थन करता है। लेकिन रॉबर्ट नॉजिक के कार्यों को स्वधीनता का समर्थक सिद्धांत (स्वच्छंदता) के अंतर्गत रखा जा सकता है। नव उदारवादियों मूल मान्यता राज्य की अहस्तक्षेपकारी भूमिका है। इनका तर्क हैं कि-

  • बाजार संसाधनों का सर्वोच्च इस्तेमाल करता है।
  • योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है।
  • निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का
  • विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है।
  • डिरैगुलेशन, डिब्यूरोक्रेटाइजेशन, डिसइनवेस्टमेंट का समर्थन।

नव उदारवादी अपने लॉकवादी ब्रह्नाण्ड से अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्य सृजित करने की चेष्टा करते हैं जो प्रकृति का अधिकतम विवेकपूर्ण दोहन करता है। ब्रिटेन में नव-दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों ने नव-उदारवाद को अपना लिया।

गौरवपूर्ण क्रांति

1688 की गौरव पूर्ण क्रांति इंग्लैंड में हुई थी। जेम्स द्वितिय की सत्ता समाप्त कर संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना की गई। जॉन लॉक को ब्रिटिश क्रांति का सिद्धांतकार कहा जाता है। तथा उसका राजनीतिक दर्शन उदारवादी राज्य के सिद्धांत की आधारशिला रखता है। इसी कारण इस क्रांति को उदारवाद की विजय के रूप में माना जाता है। लेकिन फ्रांसिस फुकुयामा के अनुसार इतिहास के पतन (साम्यवाद के पतन) के बाद पश्चिमी उदारवाद की निर्णायक विजय हो गई है।
ब्रिटिश (इंग्लिश) उदारवाद में समष्टिवादी विद्रोह का नेतृत्व बोसांके, ब्रेडले एवं ग्रीन ने किया। जर्मन और अंग्रेजी उदारवाद का संश्लेषण बोसांके ने किया है।

आधुनिक उदारवाद

आधुनिक उदारवाद पारंपरिक उदारवाद से भिन्न है क्योंकि यह विश्व को सभी प्रकार के अत्याचारों एवं शोषण से मुक्त रखना चाहता है। गलब्रेथ के अनुसार आधुनिक उदारवादी प्रजातांत्रिक राज्य एक औद्योगिक राज्य बन गया है।

आधुनिक उदारवाद की मान्यताएं

  • समूह को महत्ववपूर्ण मानता है।
  • कमजोरों की रक्षा के लिए राज्य विनियमन का समर्थन करता है।

कल्याणकारी राज्य

कल्याणकारी अर्थशास्त्र और सामाजिक वरण (चयन) सिद्धांत का निरूपण आमर्त्य सेन के द्वारा किया गया। इन्होंने सामाजिक व आर्थिक न्याय, अकाल के आर्थिक सिद्धांत तथा विकासशील देशों के कल्याण के मापन के सूचकांक (इंडेक्स) का प्रतिपादन भी किया। आर्क विशप टेम्पल की पुस्तक का नाम सिटीजन एंड चर्चमैन है। जिसमें सर्वप्रथम आर्क विशप टेम्पल ने ‘कल्याणकारी राज्य’ शब्द का प्रयोग किया।

सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के प्रावधान से संबंधित मूल सिद्धांत कल्याणकारी राज्य का सिद्धांत है। कल्याणकारी राज्य ऐसा राज्य है जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएँ प्रदान करता है।
राज्य के कार्यों को परंपरगत विचारधारा के अनुसार अनिवार्य और ऐच्छिक दो भागों में बांटा गया है लेकिन वर्तमान समय में कल्याणकारी राज्य का अवधारण के अनुसार अनिवार्य और ऐच्छिक का भेद समाप्त है तथा समस्त कार्य अनिवार्य ही माने जा रहे हैं।

आदर्शवाद (प्रत्ययवाद)

आदर्शवाद उदारवाद से पुरानी अवधारणा है। आदर्शवादी उपागम में नैतिक मूल्यों की भूमिका पर बल दिया जाता है। आदर्शवादी उपागम का लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार लाना है। अतः आदर्शवाद अनिवार्यतः उदार अंतर्राष्ट्रवाद का एक परिवर्ती है। आदर्शवाद राज्य को महत्व देता है इसके अनुसार राज्य साध्य है, व्यक्ति साधन। आदर्शवाद के अनुसार राज्यों (राष्ट्रों) को अपने नैतिक सिद्धांतो पर चलना चाहिए।

उदारवाद का आदर्शवादी संशोधन कांट के द्वारा प्रस्तुत किया गया। आदर्शवादी विचारक हीगल है। उदारवाद के प्रत्ययवादी (आदर्शवादी) संशोधन का नेतृत्व टी. (टॉमस) एच. (हिल) ग्रीन ने किया। ग्रीन ने उदारवाद की सकारात्मक अवधारणा को आगे बढ़ाया। और उदारवादी परंपरा को आदर्शवाद के साथ जोड़ा। सकारात्मक उदारवाद, लोकतांत्रिक समाजवाद के निकटस्थ है क्योंकि इनके अनुसार सामाजिक हितों के लिए मानव की आर्थिक स्वतंत्रता पर यथासंभव अधिकाधिक प्रतिबंध लगाना चाहिए।

अन्य मान्यताएं –

आदर्शवादियों के राज्य का कार्यक्षेत्र निषेधात्मक है।
राज्य का कार्य सद्जीवन के मार्ग में आने वाली बाधाओं को बाधित करना है।

राज्य नैतिक और कल्याणकारी संस्था है, जिसका आकार नैनो (छोटा) होता है।

अन्य तथ्य

  • निजीकरण और उदारीकरण की अवधारण राज्य को पीछे धकेलो के विचाक से जुड़ी है।
  • हेराल्ड लास्की का कहना है कि उदारवाद स्वतंत्रता के लिए आसक्ति है। लास्की ब्रिटेन में लेबर पार्टी के अध्यक्ष भी रहे हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उदारवादी परिप्रेक्ष्य के विकास में वुडरो विल्सन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • मार्टिन वेट ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की तीन दार्शनिक परंपरओं, यथार्थवाद, बुद्धिवाद और क्रांतिवाद पर बल दिया है।

उदारवादी सामुदायिक बहस

आत्म सम्प्रत्यय, भारग्रस्त बनाम अभारग्रस्त
सार्वभौमवाद बनाम विशिष्टतावाद
राज्य की तटस्थता बनाम राज्य की अतटस्थता

समकालीन उदारवाद के चिंतक और उनके मूल विचार

आइजिया बर्लिन – नकारात्मक स्वतंत्रता
एफ. ए. हेयक – अन्याय एवं दुर्भाग्य में अंतर
कार्ल पॉपर – उत्तरोतर परिवर्तन का सिद्धांत
सी. बी. मैकफर्सन – रचनात्मक स्वतंत्रता

उदारवादी संविधानवाद के तत्व

व्यक्तिगत स्वतंत्रता
सहिष्णुता तथा सम्मति
अल्पसंख्यकों के अधिकार

नोट – समाजवाद के PYQ आधारित नोट्स प्रारंभ से पढ़ने के लिए क्लिक करें – समाजवाद के नोट्स

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