जेरेमी बेंथम के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें जेरेमी बेंथम के उपयोगितावाद का विचार, बेंथम के सुखवाद का विचार, जेरेमी बेंथम की मत प्रणाली का विचार तथा जेरेमी बेंथम की पुस्तकें तथा परिक्षाओं में पूछे गए अन्य महत्वपूर्ण तथ्य का विवरण है। जो TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित है।
जेर्मी बेंथम का सुखवाद/उपयोगितावाद
जेरेमी बेंथम उपयोगितावाद दर्शन के संस्थापक हैं। यह अवधारणा सुखवाद की धारणा पर आधारित है। बेंथम का मूल सिद्धांत अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख है। बेंथम के अनुसार ऐसी शासन व्यवस्था सबसे अच्छी है जो अधिकतम व्यक्तियों को अधिकतम सुख देती है। बेंथम के अनुसार जो वस्तु सुख की अनुभूति देती है वह अच्छी है, ठीक है और उपयोगी है। बेंथम ने सुखवादी दर्शन में ईसाई मानवतावादी मूल्य का परिचय करवाया।
सुखवाद का आंकलन
बेंथम ने सुखवादी आंकलन या सुख-दुःख समाकलन (हेडोनिस्टिक या फेलसेफिक कैलकुलेशन) का सिद्धांत दिया। अतः बंथम की सुखवादी संकल्पना मात्रात्मक है। अर्थात सुख का मापन किया जा सकता है। जिसके सात मात्रक या कसौटियाँ निम्न प्रकार है –
- तीव्रता,
- स्थिरता (समयावधि),
- निश्चितता,
- निकटता (सामीप्य) या दूरता,
- विस्तार (उर्वरता),
- उत्पादकता (उत्पादन),
- शुद्धता (विशुद्धता)
सुखवादी आंकलन करने के बेंथम के इस सिद्धांत को राजदर्शन के इतिहास में हेडोनिस्टिक कैलकुलस कहते हैं। बेंथम का कथन है कि “सुख की मात्रा समान रहने की स्थिति में कबड्डी या पु्श्पिन का खेल उतना ही अच्छा है जितना कि काव्यपाठ।” इस प्रकार बेंथम ने सुख में मात्रात्मक अंतर किया है गुणात्मक नहीं।
बेंथम की मत प्रणाली के विचार
बेंथम ने राजनीतिक हितों के लिए एक व्यक्ति एक वोट के सिद्धांत को प्रोत्साहित किया। बेंथम महिला मताधिकार और भारित मतदान का घोर विरोधी था। बेंथम ने गु्प्त मतदान का समर्थन किया है क्योंकि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा और व्यक्ति की सुरक्षा करना चाहता है। बेंथम का कथन है कि सार्वजनिक कल्याण विधायक का ध्येय होना चाहिए।
बेंथम का राज्य संबंधित विचार
बेंथम के शब्दों में “मैं आज्ञापालन के लिए विवश हूँ इस कारण नहीं कि मेरे परदादा ने कोई लेनदेन किया जो उसने जार्ज तृतीय के परदादा के साथ वास्तव में नहीं किया, बल्कि इस कारण कि विद्रोह लाभ पहुँचाने की अपेक्षा कहीं अधिक हानि पहुँचाता है।” बेंथम का यह कथन सरल शब्दों में इस प्रकार है कि ‘मनुष्य राज्य की आज्ञा का पालन इसलिए करता है क्योंकि वह जानता है कि अवज्ञा से होने वाले अहित की तुलना में आज्ञापालन अधिक उपयोगी है।’
बेंथम का कथन है कि दण्ड एवं पुरस्कार के द्वारा समाज सुख की वृद्धि करना ही सरकार का मुख्य उद्देश्य है।
बेंथम का मानना है कि पूर्ण अधिकार, पूर्ण प्रभुसत्ता और पूर्ण न्याय जैसी संकल्पनाए सामाजिक जीवन से मेल नहीं खाती है।
बेंथम के मानव संबंधी विचार
जर्मी बेंथम के अनुसार प्रकृति ने मनुष्य को दो शक्तिशाली स्वामियों के नियंत्रण में रखा है जिनके नाम सुख और दुःख हैं। बेंथम के अनुसार सुख-दुख प्राप्ति के चार स्रोत हैं। जो इस प्रकार हैं –
- भौतिक स्रोत,
- नैतिक स्रोत,
- राजनीतिक स्रोत,
- धार्मिक स्रोत
ब्रिटिश चिंतक बेंथम नें मनुष्य के कार्य का प्रेरकतत्व (मोटिवेशन) सुख की प्राप्ति एवं दुख से बचाव की इच्छा को माना है। बेंथम ने अपनी पुस्तक ‘एन इंट्रोडक्शन टू द प्रिंसिपल्स ऑफ मॉरल एंड लेजिस्लेशन’ में लिखा है कि सुख और दुख मनुष्य के जीवन के दो स्वामी है। उसने कहा कि वे कार्य अच्छे है जो सुख उत्पन्न करते हैं और वह समाज अच्छा है जो अधिकतम व्यक्तियों को अधिकतम सुख प्रदान करता है। इसी लिए बेंथम ने विचार दिया है कि “लोगों की अधिकतम खुशी सुनिश्चित करने के लिए व्यक्ति विशेष के हाथ में अधिशेष धन होना चाहिए।
बेंथम की आलोचना
बेंथम के राजनीतिक विचार और दर्शन की आलोचना करते हुए थामस कारलाइल ने इसे “शूकर दर्शन” (Pig Philosophy) की संज्ञा दी है। कारालाइल का कहना है कि बेंथम का उपयोगितावाद सुअरों के लिए उपयुक्त है क्योंकि बेंथम साधनों के सही होने पर जोर नहीं देता है। कारलाइल ने कहा कि यदि केवल सुख प्राप्ति ही जीवन का आधार है तो मनुष्य, सुअरों से बेहतर कदापि नहीं है।
बेंथम की पुस्तकें
- एन इंट्रोडक्शन टू द प्रिंसिपल्स ऑफ मौरल्स एंड लेजिस्लेशन (1789) – इस पुस्तक में बेंथम के विचार प्राचीन यूनानी विचारक एपीक्यूरस से प्रभावित हैं।
- ए फ्रैगमेंट ऑन गवर्नमेंट (1891) – पुस्तक ब्लैकस्टोन की पुस्तक द कमेंट्रीज ऑन द लॉज ऑफ इंग्लैंड की आलोचना करने के लिए की थी।
- कांस्टिट्यूशनल कोड (1830)
- प्लान ऑफ पार्लियामेंट्री रिफार्म (1817)
- ए कैटेकिज्म ऑफ पार्लियामेंट्री रिफार्म (1817)
- बेंथम्स रेडिकल रिफार्म बिल (1819)
- द प्रिंसिपल ऑफ इंटरनेशनल लॉ (निबंध)
- थियरी ऑफ लेजिस्लेशन
- डिस्कोर्सेज ऑन सिविल एंड पैनल लेजिस्लेशन (1802)
परिक्षाओं में पूछे गए महत्वपूर्ण तथ्य
- पैन ऑप्टिकन की धारणा का समर्थन बेंथम के द्वारा किया गया जिसका आदर्श उदाहरण जेल है। पैन ऑप्टिकन शब्द पन और ऑप्टिकन से बना है। जिसमें पन का अर्थ कैदी और ऑप्टिकन का अर्थ कैदियों पर निगरानी करने वाला होता है। अर्थात ऐसी जगह जहाँ कैदियों पर निगरानी रखी जाए।
- बेंथम के राजनीतिक विचार के बारे में राज्य की उत्पत्ति के विकासवादी सिद्धांत के समर्थक हेनरी मेन का कथन है” हम बेंथम से लेकर आज तक होने वाले ऐसे किसी वैधानिक सुधार को नहीं जानते जिसपर उसका प्रभाव न पड़ा हो।”
- बेंथम ने कहा है कि “आज्ञापालन की संभावित शरारत, विरोध के संभावित शरारतों से कम है।”
- बेंथम लिखता है कि “युद्ध और तूफान पढ़ने या अध्ययन के लिए सर्वोत्तम होते हैं परंतु सहन करने के प्रति शांति और स्थिरता ही श्रेष्ठतर है।”
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