फ्रांज फैनन के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें फ्रांज फैनन का परिचय एवं प्रभाव, फ्रांज फैनन के उपनिवेशवाद से संबंधित विचार, फ्रांज फैनन के क्रांति का विचार, फ्रांज फैनन के तीसरी दुनियां के संबंध में विचार, फ्रांज फैनन के नव मानव की अवधारणा, फ्रांज फैनन से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विचार तथा फ्रांज फैनन की पुस्तकों का विवरण है।
फ्रांज फैनन का परिचय
फ्रांज फैनन का जन्म 1925 में कैरिबियन खाड़ी के मार्टनिक द्वीप (फ्रांस) में हुआ। आधुनिक अफ्रीकी क्रांतिकारी और समाज दार्शनिक फ्रांज मूलतः मनोरोग वैज्ञानिक थे। इनका पूरा नाम इब्राहिम फ्रांस फैनन है। इनकी मृत्यु 36 वर्ष की उम्र में मेरीलैंड अमेरिका में हुई। इन्होंने उपनिवेशवाद, विदेशी शासन, सांस्कृतिक साम्राज्यवाद और जातीय पूर्वाग्रह का विरोध किया।
1956-65 के बीच अल्जीरीया के स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र क्रांति एवं क्रांतिकारियों का खुला समर्थन किया। इनका अंतिम लक्ष्य संपूर्ण मानव जाति की स्वतंत्रता था। फैनन के विचारों पर फ्रांसीसी अस्तित्ववादी व मार्क्सवादी विचारक ज्यां पॉल सार्त्र का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है। पॉल सार्त्र के द्वारा ही फैनन की पुस्तक ‘द रैचेड ऑफ द अर्थ'(The Wreathed of the Earth – 1961) की प्रस्तावना भी लिखी गई।
फ्रांज फैनन के उपनिवेशवाद से संबंधित विचार
फ्रांज फैनन के राजनीतिक विचार में उपनिवेशवाद के विचार अनुभव पर आधारित है। इनके अनुसार उपनिवेशवाद उत्पीड़न का विस्तृत ढांचा है, जो जातीय व सांस्कृतिक श्रेष्ठता का मुखौटा लगाकर पूंजीवाद के आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति करता है। अपनी पुस्तक ‘ब्लैक स्किन, ह्वाइट मास्क’ में फैनन ने कहा कि उपनिवेशवाद के अंतर्गत श्वेत व अश्वेत जातियां निरंतर तनाव में रहती है।
श्वेत व्यक्ति स्वयं को संपूर्ण सभ्यता, संस्कृति, कानून, शिक्षा, कला कौशल के प्रवर्तक बनाकर अश्वेत लोगों को हीन बताते हैं। जिसे ‘श्वेत जाति के भार का सिद्धांत’ (Whiteman Burden ship Theory) कहते हैं। इस सिद्धांत के विपरित अश्वेत जातियों द्वारा ‘अश्वेत जाति के गौरव का सिद्धांत’ दिया। जिसके अनुसार अश्वेत जातियों की सांस्कृतिक परंपरा महान और गौरव पूर्ण मानी जाती है।
फैनन ने उपरोक्त दोनों सिद्धांतों कों काल्पनिक और निराधार माना। जिनका प्रयोग कोई नेता एकतंत्रीय व तानाशाही शासन की स्थापना में कर सकता है। फैनन के अनुसार अश्वेत जाति का एक ही अधिकार है, कि वह श्वेत जाति से मानवीय व्यवहार की मांग करे, और एक ही कर्त्तव्य है की वह अपनी स्वतंत्रता का त्याग कभी न करे।
फ्रांज फैनन के क्रांति का विचार
फैनन के क्रांति के सिद्धांत में सर्वहारा वर्ग (औद्योगिक मजदूर), अफ्रीका में एक सुविधाभोगी वर्ग बन गया जो बुर्जुआ का मित्र है तथा क्रांति का विरोधी है। फ्रांज हिंसक क्रांति का समर्थन करता है। इनके अनुसार, पश्चिमी बुर्जुआ उत्पादक भी है एवं परजीवी भी है। जबकि तीसरी दुनिया का बुर्जुआ केवल परजीवी है, उत्पादक नहीं है।
फैनन का मानना है कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए क्रांति आवश्यक है। क्रांति के लिए किसानों में विद्यमान क्रांति क्षमता को पहचानना चाहिए और किसान समुदाय के साथ मिलकर काम करना चाहिए। क्रांति के लिए संपूर्ण अफ्रीका, एशिया व लैटिन अमेरिका के राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों का संचित प्रभाव मानवीय विकास में सहायक होगा।
इस प्रकार परम्परागत मार्क्सवादी विचारकों की तरह फैनन भी क्रांति (हिंसा) को ऐतिहासिक विकास के लिए आवश्यक मानता है। फ्रैट्ज फैनन का कथन है कि, क्रांतिकारी हिंसा न केवल भेदक होती है बल्कि उपनिवेशी प्रजा को स्वयं के पुनर्निमाण का अवसर भी प्रदान करता है।
फ्रांज फैनन के तीसरी दुनियां के संबंध में विचार
फैनन ने कहा है कि तीसरी दुनियां में लुच्चा सर्वहारा (Lumpen Proletariat) के द्वारा क्रांति होगी जो सभी वर्ग का मिला-जुला रूप होगा। फैनन का लुच्चा सर्वहारा मार्क्स के लुच्चा सर्वहारा से अलग है। मार्क्स ने जेबकतरों, भगोड़े सैनिकों, कबाड़ी एवं भिखारियों को शामिल किया जबकि फैनन ने नहीं।
फैनन के अनुसार शहरी गरीबों, किसानों एवं लुच्चा सर्वहार के मध्य गठबंधन द्वारा क्रांति होगी। इस प्रकार फैनन की क्रांति की रणनीति माओ के समान और परंपरागत मार्क्सवाद के विरूद्ध है। फैनन का मानना है कि क्रांति के द्वारा ही आर्थिक व सांस्कृतिक साम्राज्यवाद का अंत कर विश्व की समस्याओं के नये व मौलिक समाधान ढूँढें जाऐंगे।
फ्रांज फैनन के नव मानव की अवधारणा
फैनन ने अपनी पुस्तक ‘द रैचेड ऑफ द अर्थ’ में नव मानव की संकल्पना दी है जो सृजनात्मक स्वतंत्रता से युक्त होगा। नव मानव सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के मानसिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों से पूर्णतः मुक्त होगा। परंतु वह अपनी जड़ों व संस्कृति से जुड़ा होगा।
फ्रांज फैनन से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विचार
- फ्रांज फैनन के विचारों पर कार्ल मार्क्स, जी डब्ल्यू एफ, हीगल, जॉन पॉल, सार्त्र, सिग्मंड फ्रायड, मैक्स वेबर, कार्ल गुस्ताव जंग का प्रभाव है।
- गांधी जी की तरह ही फैनन भी औद्योगिकीकरण व तकनीक का विरोध करता है। क्योंकि यह औपनिवेशिक प्रभुत्व व गुलामी का मूल कारण है।
- मार्क्स की भांति फैनन भी क्रांति के लिए स्वतः स्फूर्त चेतना को आवश्यक मानता है।
- फैनन का कथन है कि, यूरोप ने हमारे देशों पर हाथ डाला है और हमें उनकी अँगुलियों को काटना ही होगा ताकि वह हमें छोड़ दे।
- जार्ज सोरेल की भांति फैनन ने हिंसा का समर्थन किया है।
- फैनन के विचार तीसरे विश्व कि आवाज है। जिसने मार्क्सवाद को वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बाध्य किया है।
- फैनन ने आर्थिक तत्वों के साथ प्रजातीय भेद-भाव एवं सांस्कृतिक आधिपत्य को केंद्रीय महत्व प्रदान किया।
- फैनन को नव मार्क्सवादी भी कहा जा सकता है।
फ्रांज फैनन की पुस्तकें
- ब्लैक स्किन व्हाइट मास्क 1952
- ए डायिंग कोलोनियलिज्म 1959
- द रैचेड ऑफ द अर्थ 1961
- एलियशन एंड फ्रीडम 1961
- टुवार्ड द अफ्रीकन रिवोल्युशन 1964
- द फैक्ट ऑफ ब्लैकनैस
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