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जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचार

जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें जवाहरलाल नेहरू का परिचय,  भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जवाहर लाल नेहरू का योगदान, समाजवाद व लोकतंत्र का विचार, वैज्ञानिक प्रवृत्ति व जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकों का विवरण है। जो TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित है।

जवाहरलाल नेहरू का परिचय

जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ। नेहरू ने अपनी वकालत की शिक्षा इंग्लैण्ड में जाकर की थी। 1912 में भारत लौटकर आए। इन्होंने 1912 में ही पहली बार एक प्रतिनिधि के रूप में कांग्रेस के बांकीपुर अधिवेशन में भाग लिया। आगे चलकर 1917 में होमरूल लीग में शामिल हुए और 1919 में गाँधी जी से मुलाकात हुई। उन्होंने गाँधी जी के साथ मिलकर कांग्रेस के प्रमुख आंदोलनों में भाग लिया।

  • नेहरू जी को 1923 में तथा पुनः 1926 से 1928 तक के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाया गया।
  • 1936 और 1937 के अधिवेशन में नेहरू को कांग्रस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
  • 1947 में नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जवाहर लाल नेहरू का योगदान

  • 1920 के असहयोग आंदोलन में नेहरू में भाग लिया। जिसके लिए नेहरू जी को पहली बार 6 माह के कारावास की सजा हुई।
  • दिसम्बर 1929 के लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य घोषित किया। और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाये जाने निश्चित किया गया। प्रथम स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी 1930 को नेहरु जी ने झंडा फरहाकर मनाया।
  • गाँधी जी के द्वारा प्रारंभ किए गये व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी भाग लिया।
  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर अहमदनगर जेल भेज दिया गया। यह नेहरू का नवीं बार का कारावास था। जिसकी अवधि सभी कारावासो से अधिक थी।

नेहरू जी का समाजवाद

जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचार के अंतर्गत वे लोकतांत्रिक समाजवाद के समर्थक थे। उनके द्वारा आर्थिक नीति के संबंध में मिश्रित अर्थव्यवस्था का समर्थन किया गया था। जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि समाजवाद का सार, उत्पादन के साधनों की स्थिति के नियंत्रण में निहित है। वे साधनों के न्यायपूर्ण वितरण पर बल देते हैं।

उनका मानना है कि लोकतांत्रिक समाजवाद लोगों की राजनीतिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने वाला माध्य है। नेहरू ने समाजवादी समानता लाने के लिए भारी उद्योगों का समर्थन किया।

जवाहर लाल नेहरू की वैज्ञानिक प्रवृत्ति

नेहरू का मानना है कि विज्ञान समाज को बदलने के एक महत्वपूर्ण साधन है। विज्ञान के द्वारा व्यक्ति के विचार अधिक तार्किक और विवेकशील हो जाते हैं। और आधुनिकीकरण के लिए विज्ञान का प्रयोग आवश्यक है। 

जवाहर लाल नेहरू ने ‘वैज्ञानिक पद्धति’ तथा ‘वैज्ञानिक मार्ग’ में अन्तर किया है। नेहरू के अनुसार ‘वैज्ञानिक पद्धति’ तर्क आधारित प्रयास है तथा ‘वैज्ञानिक मार्ग’ एक जीवन का तरीका है।

वैज्ञानिक प्रवृत्ति होने के कारण नेहरू जी जाति, धर्म जैसे संकीर्ण विचारों का विरोध करते हैं। नेहरू का कथन है “जाति व्यवस्था केवल स्वयं के बल पर नहीं टिकी है, यह एक हिस्सा है और सामाजिक गठन की एक बहुत बड़ी योजना का एक अभिन्न हिस्सा है। इसके द्वारा जाति को पसंद या नापसंद करने का सवाल ही नहीं रह गया है।”

जवाहर लाल नेहरू का अंतर्राष्ट्रीयवाद/विदेश नीति

नेहरू जी राष्ट्रवाद को अंतर्राष्ट्रवाद की पूर्व शर्त मानते है। अतः उन्होंने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध, राष्ट्रवाद व अंतर्राष्ट्रवाद दोनो के लिए अनिवार्य बताया।

नेहरू जी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री दोनो की भूमिका में थे। उनका मानना था कि स्वतंत्र भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र नीति को अपनायेगा और तत्कालीन किसी गुट का भाग नहीं बनेगा। इसलिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की शुरुआत की, जिसमें भारत के जवाहर लाल नेहरू, इण्डोनेशिया के सुकर्णों , मिस्त्र के अब्दुल नासिर, यूगोस्लाविया के मार्शल टीटो तथा घाना के एनक्रूमा शामिल थे।

नेहरू की पंचशील नीति

यह नीति भारत की विदेश नीति का आधार है। जबकि पंचशील नाम की समझौता 29 अप्रैल 1954 को भारत और चीन के बीच हुआ था। इस नीति के पाँच सिद्धांत निम्न प्रकार हैं।

  1. क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का पारस्परिक सम्मान करना।
  2. किसी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
  3. एक दूसरे पर आक्रमण न करना।
  4. शांतिपूर्ण सहअस्तित्व
  5. समानता और पारस्परिक लाभ

जवाहर लाल नेहरू की पुस्तकें

  • ग्लिम्सेस ऑफ वर्ड हिस्ट्री (‘विश्व इतिहास की झलक’) (1942) – जवाहर लाल नेहरू के द्वारा 1930 से 1933 के दौरान जेलों से लिखे गये पत्रों का संग्रह है। जिसमें मानव जाति के इतिहास का विवरण है।
  • डिस्कवरी ऑफ इण्डिया 1946
  • टुवार्डस् फ्रीडम एन आटोवायोग्रेफी 1936
  • लेटर फॉर ए नेशन 
  • ए बन्च ऑफ ओल्ड लेटर
  • द यूनिटी ऑफ इण्डिया 1941
  • इण्डिया एण्ड द वर्ड 1936

इन्हें भी पढ़े –

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