लेनिन के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें लेनिन का परिचय एवं मार्क्सवादी सिद्धांत में योगदान, साम्राज्यवाद का सिद्धांत, दल का सिद्धांत, लोकतांत्रिक केन्द्रवाद का सिद्धांत, लेनिन की क्रांति का विचार एवं अन्य महत्वपूर्ण तथ्य तथा लेनिन की पुस्तकों का विवरण है।
लेनिन का परिचय
लेनिन का जीवन काल 1870 से 1924 है। इनका जन्म 22 अप्रैल, 1870 में यूलियानोव (रूस) में हुआ था। लेनिन का पूरा नाम ‘व्लादिमीर इलिच यूलियानोव लेनिन’ है।
मार्क्सवादी सिद्धांत में लेनिन का योगदान
लेनिन के द्वारा मार्क्सवाद का सर्वप्रथम व्यवहारिक रूप में प्रयोग किया गया। लेनिन ने परिवर्तित समय के साथ मार्क्स की मान्यताओं में परिवर्तन किया किन्तु मार्क्स की किसी भी मान्यता को विसंगतपूर्ण नहीं माना। लेनिन के द्वारा मार्क्स के विचारों को आधार बनाकर अपने कुछ नये सिद्धांत दिये गये हैं।
- साम्राज्यवाद का सिद्धांत
- दल का सिद्धांत
- लोकतान्त्रिक केन्द्रवाद का सिद्धांत
मार्क्सवादी लेनिनवादी दृष्टिकोण की विशेषता
- प्रत्ययी स्थायित्व
- समग्रवादी पद्धति
- सामाजिक प्रासंगिकता
साम्राज्यवाद का सिद्धांत
लेनिन साम्राज्यवाद को पूँजीवाद की उच्चतम अवस्था मानता है। लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद पूंजीवाद की अंतिम अवस्था है। यहां पूजीवाद की उच्चतम अवस्था का आशय वित्तीय पूंजीवाद से है जिसे एकाधिकारवादी पूंजीवाद भी कहा जाता है।
लेनिन का मानना था कि इंग्लैंड एवं फ्रांस जैसे विकसित पूंजीवादी देशोंं में क्रांति अभी नहीं हो सकती है, क्योंकि ये देश अफ्रीकी महाद्वीप के देशों का शोषण कर रहे है। जिसका लाभ वहां के सर्वहारा वर्ग को भी प्राप्त हो रहा है।
लेनिन के राजनीतिक विचार के अंतर्गत आर्थिक शोषण के तीन प्रकार हैं। पहला कच्चे माल का आयात करके, दूसरा आयातित कच्चे माल को तैयार करके उन्हीं देशों में निर्यात करना और तीसरा माल बेंच कर प्राप्त हुई पुंजी को उसी देश में लगाकर। वी आई लेनिन ने यह विचार दिया है कि राज्य संस्था की आवश्यकता शोषक का शोषण करने के लिए है।
दल का सिद्धांत
लेनिन के द्वारा मार्क्सवाद के सिद्धांत और कार्यप्रणाली के लिए वैनगार्ड पार्टी का सिद्धांत और उपनिवेशवाद के सैद्धांतिक विश्लेषण में योगदान किया गया। ‘सर्वहारा के अग्र-दल’ के रूप में पार्टी का उनका सिद्धांत जो क्रांति के पहले और बाद दोनों में जनसाधारण का मार्गदर्शन करता है। इस प्रकार दुनिया के पहले सर्वहारा राज्य के पुनर्निर्माण के लिए इन्होंने अपना विचार दिया।
लेनिन का कथन है कि सर्वहारा वर्ग की तानाशाही मार्क्स के सिद्धांत का सार है। जिसके लिए कम्युनिस्ट पार्टी का गठन आवश्यक है। वी. आई. लेनिन की कम्युनिस्ट पार्टी की संगठनात्मक संरचना उनकी थीसिस पर आधारित है, जिसे सबसे प्रसिद्ध रूप से लोकतांत्रिक समाजवाद के नाम से जाना जाता है।
‘व्हाट इज टु वी डन’ नामक अपनी पुस्तक में लेनिन ने दल को बुद्धिजीवी और प्रशिक्षित लोगों का संगठन बताया है। जो सर्वहारा वर्ग की सबसे प्रशिक्षित एवं भौतिक रूप मे श्रेष्ठ और अग्रवाहक पंक्ति है।
लोकतान्त्रिक केन्द्रवाद का सिद्धांत
लेनिन के द्वारा लोकतांत्रिक केंद्रवाद का सिद्धांत दिया गया। इन्होंने दल की संरचना को ‘लोकतांत्रिक केंद्रवाद’ के नाम से व्यक्त किया। लोकतांत्रिक केंद्रवाद का आशय, दल में विवाद और परिचर्चा की स्वतंत्रता प्रदान करने तथा दल में अनुशासन को कठोरता से लागू करने से है। इसी कारण लेनिन साम्यवादी लोकतंत्र को निर्देशित लोकतंत्र मानता है।
लेनिन की क्रांति का विचार (बोल्सेविक क्रांति)
बोल्सेविक क्रांति के प्रणेता लेनिन, मार्क्सवादी विचारधारा के चिंतक हैं। लेनिन ने क्रांति की रणनीति और दांव पेंच का सिद्धांत भी दिया है। लेनिन के अनुसार क्रांति का आशय, ‘क्लास इन इटसैल्फ’ का ‘क्लास फॉर इटसैल्फ’ में परिवर्तित होना है। इनके द्वारा ‘वर्ग’ की संकल्पना के अंतर्गत मजदूरों के साथ किसानों को भी शामिल कर लिया गया। लेनिन का शक्ति पर क्रांतिकारी कब्जा होना आकस्मिक शासन परिवर्तन के समान है तथा यह मार्क्सवाद के विरुद्ध भी है। लेनिन का कथन है कि क्रांति उत्पीड़ित और शोषित लोगों का उत्सव है।
लेनिन ने बुद्धिजीवियों के क्रांतिकारी कार्य का एक नया सिद्धांत प्रस्तुत किया। लेनिन का मानना था कि क्रांति के प्रभावी कारणों में उत्पादन के विचार होते हैं, न कि उसकी भौतिक स्थितियाँ। इस प्रकार लेनिन ने मार्क्स के विपरीत विचारधारा को मान्यता प्रदान की। मार्क्स विचारधारा को मिथ्या चेतना मानता है। परंंतु लेनिन सर्वहारा वर्ग की विचारधारा को अपनाता है। लेनिन के द्वारा अक्टूबर, 1914 की क्रांति में रोटी, भूमि और शांति का नारा दिया गया।
लेनिन कि पुस्तकें
- मैटिरियलिज्म एंड इम्पीरियोक्रिटिसिज्म (1909)
- व्हाट इज टू बी डन (1902)
- द डेवलपमेंट ऑफ कैपिटलिज्म इन रसिया (1899)
- सोसलिज्म एंड वार (1915)
- स्टेट एंड रिवोल्युशन (1917)- सर्वहारा वर्ग की अधिनायकवादी शासन व्यवस्था का विचार जो पेरिस कम्यून के जैसी होगी।
- इम्पीरियलिज्म द हाईएस्ट स्टेज ऑफ कैपीटलिज्म (1917)
- टु टैक्टिक्स ऑफ सोशल डेमोक्रेसी इन द डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशन (1905)
- 1900 में इस्करा नामक बोल्शेविक पत्रिका का संपादन किया।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- कॉटस्की लेनिन का समकालीन विचारक था। जिसने ‘द रोड टु पॉवर’ नामक पुस्तक लिखी। कॉटस्की का कथन है कि मार्क्सवादी केवल वही है जो वर्ग संघर्ष की मान्यता को मजदूर वर्ग की तानाशाही की मान्यता तक ले जाता है।
- खुश्चेव ने ‘शांतिपूर्ण सहअस्तित्व’ का सिद्धांत दिया।
- प्लेखानोव को ‘रूसी समाजवाद का पिता’ कहा जाता था।
- रॉय-लेनिन बहस औपनिवेशिक प्रश्न के इर्द-गिर्द केंद्रित थी।
- लेनिनवाद की खोज स्टालिन के द्वारा की गई थी। स्टालिन ने ‘एक देश में समाजवाद’ का नारा दिया। इन्होंने ‘कमजोर कड़ी का सिद्धांत’ तथा ‘घेरे का सिद्धांत’ भी दिया। इनके द्वारा ‘ऊपर से समाजवाद’ या ‘शीर्ष से समाजवाद का सिद्धांत’ भी दिया गया। इसे ही ‘पूंजीवाद का सिद्धांत’ कहा जाता है।
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