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एम. एन. रॉय के राजनीतिक विचार

एम. एन. रॉय के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें एम. एन. रॉय का परिचय एवं योगदान, वैज्ञानिक मानववाद का विचार, भारतीय व्यवस्था से संबंधित विचार, एम. एन. राय के महत्वपूर्ण कथन एवं पुस्तकों का विवरण है।

एम. एन रॉय का परिचय

मानवेन्द्र नाथ रॉय का जन्म 6 फरवरी 1886 को बंगाल में हुआ। अपने जीवन के प्रांभिक दौर में राय पर विपिन चंद्रपाल, अरबिन्द घोष तथा सुरेन्द्र नाथ बनर्जी जैसे क्रांतिकारियों का प्रभाव था इस लिए वे क्रांतिकारी गतिविधियों में भी संलिप्त रहे। हावड़ा षड़यंत्र केस और कानपुर षड़यंत्र केस में गिरफ्तार भी हुए। युगांतर और अनुशीलन समिति से भी जुड़े। और यतीन्द्र मुखर्जी से क्रांतिकारी कार्यों की प्रेरणा प्राप्त की।

समाजवाद का अध्ययन करने बाद राय ने अमेरिका में अपना नाम मानवेन्द्र नाथ भट्टाचार्य से मानवेन्द्र नाथ रॉय रखा और स्वयं को समाजवादी घोषित किया।

एम. एन. राय द्वारा 1940 में रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की गई थी। 1946 में हुए चुनावों में पार्टी की हार के वाद उन्होंने पार्टी को समाप्त कर दिया। 1937 में राय ने ‘इंडिपेन्डेंट इंडिया’ नामक साप्ताहिक पत्र शुरू किया। राय नें 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन नहीं किया बल्कि इस आंदोलन को ‘भारतीय राष्ट्रवादियों का फॉसीवाद’ कहा। अपने जीवन के अंतिम बर्षों में राय ने एक नवीन दर्शन नवमानववाद का विकास किया। 1954 में एम. एन. राय का निधन हो गया।

वैज्ञानिक मानववाद

एम. एन. रॉय का समेकित वैज्ञानिक मानववाद, नव-मानववाद के नाम से जाना जाता है। इसे ही वैज्ञानिक मानववाद कहा जाता है। एम. एन. रॉय ने मार्क्स के इतिहास के भौतिकवादी व्याख्या को नहीं स्वीकार किया। क्योंकि इसमें निर्धारणवाद और आदर्शवाद का तत्व था। जबकि रॉय एक व्यवहारिक विचारक थे। मार्क्सवादी अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत की आलोचना भी एम. एन. रॉय ने की है। राय के अनुसार अतिरिक्त मूल्य के अभाव में कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता।

राय ने नवमानववाद के अंतर्गत मानव को केन्द्र बनाया है। जिसके दो आधार दिए है।

  1. मनुष्य ही मानव जाति का मूल है।
  2. मनुष्य ही समस्त वस्तुओं का मापदण्ड है।

नव मानववाद दर्शन के सैद्धांतिक आधार दो है।

  1. स्वतंत्रता
  2. नैतिकता

स्वतंत्रता

व्यक्तिगत और सामूहिक स्वतंत्रता सामाजिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है। क्योंकि सर्वोत्तम समाज वह है जहां समाज के सभी घटकों को अपनी अंतरनिहित शक्तियों को विकसित करने की अधिकतम क्षमता प्रदान की जाये। राय का कहना है कि, उदारवाद में दल ने स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया तथा मार्क्सवाद ने स्वतंत्रता का दमन वर्ग के आधार पर किया। अतः स्वतंत्रता न मार्क्सवाद में है न उदारवाद में। स्वतंत्रता नव मानववाद में है। नव मानववाद में समाज और व्यक्ति की स्वतंत्रता में कोई विरोधाभास नहीं है यदि समाज के निर्माण में व्यक्ति का प्रयोग किया जाये।

रॉय के अनुसार स्वतंत्रता की खोज में आधुनिक मुनष्य को रूस की क्रांति के तीन बर्ष बाद भी उसके परिणाम से कोई प्रेरणा नहीं मिली।
राय ने स्वतंत्रता के तीन आधार स्तम्भ बताए है।

  1. मानववाद,
  2. व्यक्तिवाद,
  3. विवेकवाद।

नैतिकता

राय की नैतिकता का आधार आध्यात्मवाद नहीं है। उनके अनुसार नैतिकता कोई अतिमानवीय एवं बाह्य वस्तु न होकर एक आंतरिक शक्ति है जिसका पालन मनुष्य को ईश्वरीय अथवा प्राकृतिक भय से नहीं बल्कि समाज कल्याण की भावना से करना चाहिए।

राय के अनुसार हमारे युग के संकटो का मूल कारण यह है कि मनुष्य का बौद्धिक तथा नैतिक स्तर उसकी भौतिक प्रगति के अनुरूप नहीं है। अतः समस्त समाजिक रोगों का समुचित उपचार जीवन में नैतिक मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठित करना है।

एम. एन. राय के भारतीय व्यवस्था से संबंधित विचार

एम. एन. रॉय के राजनीतिक विचार के तहत स्वतंत्र भारत के लिए एक मॉडल संविधान तैयार किया।

  • संप्रभु शक्ति जनता में निहित होनी चाहिए।
  • गाँवों, कस्बों तथा शहरों में जन समितियाँ गठित हों।

उनका कहना था कि हमारा उद्देश्य समाज को एक भौतिक आधार पर संघठित करना चाहिए। क्योंकि समाज का आधार जितना अधिक नैतिकतावादी और बुद्धिवादी होगा, मानव व्यक्तित्व के विकास पर लगे प्रतिबंध उतने ही शिथिल या समाप्त हो जायेगें और मानव को उतनी ही अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होगी। राय एक विशुद्ध भौतिकवादी विचारक है।

एम. एन. राय के महत्वपूर्ण कथन

  • राय का मानना था कि क्रांति शिक्षा एवं सहमति से द्वारा होगी।
  • एम. एन. राय केवल औद्योगिक श्रमिकों और भूमिहीन मजदूरों से एक क्रांतिकारी संगठन बनाना चाहते थे।
  • रॉय ने लाला लाजपत राय को ‘समाजवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाला एक बुर्जुआ राजनीतिज्ञ’ कहा।
  • राय ने संसदीय लोकतंत्र को विनम्र अधिनायकवाद कहा है।

एम. एन. राय की पुस्तकें

  • इंडिया इन ट्रांजिसन 1922
  • इंडियाज प्रॉबलम्स एण्ड इट्स सोल्यबसंस 1922
  • वन ईयर ऑफ नॉन कोआपरेसन 1929
  • द हिस्टोरिकल रोल ऑफ इस्लाम 1939
  • साइन्टिफिक पॉलिटिक्स 1940
  • बियोन्ड कम्युनिज्म 1947
  • रिवॉल्युशन एंड काउन्टर रिवॉल्युशन इन चाइना 1946
  • रीजन, रोमेन्टिसिज्म एंड रिवोल्युशन 1952

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