Skip to content
Home » मैकियावेली के राजनीतिक विचार

मैकियावेली के राजनीतिक विचार

मैकियावेली के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। जिसमें मैकियावेली का परिचय, मैकियावेली के राज्य का विचार और राजा की विशेषताएँ, मैकियावेली की अध्ययन पद्धति, शासन प्रणाली, मैकियावेली की पुस्तकें तथा परिक्षाओं में पूछे गए अन्य महत्वपूर्ण कथन का विवरण है। जो TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित है।

मैकियावेली का परिचय

मैकियावेली का जन्म इटली में हुआ था। इसका जीवनकाल 1469 से 1527 ईसवी तक का है। इस समय इटली में सामंतवाद (Feudalism) की व्यवस्था थी। जिस कारण इटली पांच छोटी-छोटी स्टेट्स में विभाजित था। इन्हीं में से एक स्टेट फ्लोरेंस से मैकियावेली संबंध रखते थे। मैकियावेली इटली का एकीकरण चाहते थे। लेकिन उन्होंने देखा कि इटली के एकीकरण में चर्च व्यवधान उत्पन्न कर रहा है। क्योंकि चर्च स्टेट्स के मामलों में दखलंदाजी किया करता था। इसी कारण मैकियावेली चर्च के खिलाफ थे।

मैक्यावली ने डिप्लोमेट राजनयिक के रूप में कार्य किया। उस समय में राजनीतिक चिंतन का मध्यकालीन दौर समाप्त हो रहा था। और आधुनिक काल की शुरुआत हो रही थी। अर्थात धर्म का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो रहा था। और उसके स्थान पर तर्क अपनी जगह बनाना प्रारंभ कर चुका था।

 मैकियावेली आधुनिकता का अग्रदूत

मैकियावेली को अपने युग का शिशु, प्रथम आधुनिक राजनीतिक विचारक और पुनर्जागरण का प्रतिनिधि आदि नामों से जाना जाता है। जो स्थान भारत में राजनीतिक विचारक के रूप में कौटिल्य (चाणक्य) को दिया जाता है वही स्थान पश्चिमी चिंतकों में मैकियावेली को प्राप्त है।

निकोलो मैकियावेली को आधुनिकता अग्रदूत कहा जाता है। और मैकियावेली को व्यवहारिक राजनीति के सिद्धांतकार के तौर पर भी उल्लेखित किया जाता है। क्योंकि वह मानवीय व्यवहार में आदर्शों को त्यागने और अनुभवजन्य वास्तविकता के अवलोकन की आवश्यकता को समर्थन देता है।

मैकियावेली के राजनीतिक विचारों का केंद्रीय विषय

मैकियावेली ने, शक्ति कैसे प्राप्त की जाती है और कैसे संरक्षित की जाती है? सरकार मजबूत कैसे बनती है? और स्वतंत्रता कैसे संभव हो पाती है? आदि प्रश्नों में अपनी रूचि दिखाई है। न की कैसे राजनीतिक दायित्व पूरे किए जाते है? में है।

मैकियावेली की अध्ययन पद्धति

मैकियावेली के द्वारा आगमनात्मक पद्धति का प्रयोग जानबूझकर किया गया था परंतु अरस्तु आगमनात्मक पद्धति अपनाने वाले प्रथम विचारक है जिन्होंने यह पद्धति आकस्मिक (अनजाने) अपनाई थी।

15 वी शताब्दी के दौर में विज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में विकास प्रारंभ हो गया था। चर्च की जिओ सेंट्रिक अवधारणा के विरुद्ध गैलीलियो ने हेलिओसेंट्रिक अवधारणा दी। जिस कारण चर्च के द्वारा गैलीलियो को मृत्युदंड दिया गया। विज्ञान के विकास के साथ ही राजनीतिक चिंतन में भी तर्क ने अपना स्थान ग्रहण कर लिया। जिसके अगुआ के रूप में मैकियावेली ने अपनी भूमिका निभाई और इसी समय चर्च और राज्य की भूमिका को अलग-अलग करना प्रारंभ हुआ।

मैकियावेली की मेथाडोलॉजी अर्थात अध्ययन करने का तरीका ह्यूमन साइकोलॉजी मानव मनोविज्ञान तथा इतिहास पर आधारित है।

“It is a paradox that everyone is Machiavellian in politics but none excepts himself to be Machiavellian. – ‘Dunning’ “Narrowly dated and narrowly located”- ‘Sabin’

मैकियावेली के सिद्धांत

    • मैकियावेली पैसिमिस्ट नकारात्मक विचार रखने वाला  विचारक था।
    • मैकियावेली बुर्जुआ वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने सिद्धांत देते हैं।
    • मैकियावेली ने धर्म, राज्य और नीति शास्त्र (एथिक्स) को अलग अलग रखा।
    • राजनीति में शक्ति का दृष्टिकोण मैक्यावली ने अपनी पुस्तक द प्रिंस के माध्यम से दिया। इसी कारण मैकियावेली को फादर ऑफ पोलिटिकल रियलिज्म कहा जाता है।
    • मैकियावेली ने मानव व्यवहार के बारे में कहां है, कि मनुष्य की प्रकृति स्वार्थी, कृतघ्न, अवसरवादी, कायर और लोभी व लालची है। जिसकी जानकारी इतिहास से प्राप्त होती है। इसीलिए इतिहास राजनीति के लिए एक बहुत अच्छा मार्गदर्शक है।

मैकियावेली का राज्य

मैकियावेली के राजनीतिक सिद्धांत में प्राचीन रोम को देवत्व प्रदान किया गया है। इसमें इतिहास के व्यापक रूप से उपयोग किया गया है, ताकि शासन कला सीखी जा सके।

राजनीतिक विचारक मैकियावेली ने पहली बार समकालीन विश्व में राज्य (स्टेट) शब्द का प्रयोग भू-क्षेत्रीय सम्प्रभु सरकार के लिए किया था।

मैकियावेली के दर्शन में साध्य-साधनों की उपयोगिता को पुष्टि होती है क्योंकि द प्रिंस का मुख्य ध्येय राज्य की एकता एवं अखण्डता को स्थापित करना है।

मैकियावेली का राजा या प्रिंस

द प्रिंस में मैकियावेली ने राजा के गुणों को बताते हुए कहा कि वही राजा श्रेष्ठ होता है जो नैतिक या अनैतिक सभी साधनों का प्रयोग कर राज्य की एकता और अखण्डता को बनाए रखने में सफल है। मैकियावेली के अनुसार राजा या प्रिंस में बुद्धि, दृढ़ संकल्प, साहस, चतुराई, बेहिचक मर्जी, क्रूरता और लचीलापन जैसे गुण होने चाहिए। उसने दया को राजा का गुण नहीं माना है।

राजा को छल-कपट जानने के लिए लोमड़ी और भेड़िये को डराने के लिए शेर की तरह होना चाहिए। मैकियावेली के प्रिंस को हीगल ने महान और एक वास्तविक राजनीतिक प्रतिभाशाली व्यक्ति की सच्ची धारणा की संज्ञा दी थी जिसका सर्वोच्च एवं महान उद्देश्य होता है।

मैकियावेली के अनुसार “राजा पर नैतिक प्रतिबंध लागू नहीं होते यदि राजा नैतिक सीमाओं में बंधा होगा तो यह राजा के लिए नुकसानदेय होगा।”

मैकियावेली के प्रिंस की विशेषताएं

    • मैकियावेली प्रिंस की गुणों को बताते हुए कहता है, कि एक प्रिंस को लोमड़ी की तरह चालक तथा शेर की तरह बहादुर होना चाहिए।
    • एक प्रिंस को कठोर दिल होकर तथा गणना के आधार पर निर्णय लेने चाहिए। और भैय या डर के द्वारा शासन करना चाहिए। सॉफ्ट पावर का प्रयोग सबसे पहले करना चाहिए, उसके बाद कठोर पावर का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन अच्छा साधन दोनों का मिश्रण है। इसी तरह से शक्ति का प्रबंधन करना चाहिए।

मैकियावेली की शासन प्रणाली

मैकियवेली यथार्थवादी विचारक है। जिसने धर्म और राजनीति में स्पष्ट रूप से विभाजन किया है। अपनी प्रसिद्ध पुस्तक द प्रिंस में शक्तिशाली राजा का समर्थन करता है। इसी कारण मैकियावेली व्यावहारिक रूप में निरंकुश राजतंत्र को सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली मानता है। यद्यपि मैकियावेली ने सैद्धांतिक रूप में गणतंत्र को सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली माना है क्योंकि उसका मानना है कि गणतांत्रिक शासन में सुरक्षा सुदृढ़ एवं बेहतर होती है।

मैकियावेली ने कहा है कि गणतांत्रिक शासन सर्वश्रेष्ठ होता है परंतु यह सभी समाजों में लागू नहीं हो सकता, केवल उन्हीं समाजों में होता है जहां के व्यक्ति सदगुणी और अच्छे हैं। मैकियावेली मानता है कि यह व्यवस्था केवल स्विट्जरलैंड जैसे देशों में लागू की जा सकती है।

मैकियावेली का नैतिकता और धर्म का विचार

मैकियावेली ने नैतिकता के बारे में विचार करते हुए कहा है; एंड्स जस्टिफाई मींस जिसका अर्थ है, कि परिणाम साधन कि न्याय पूर्णता बताता है। अगर परिणाम अच्छा है, तो साधन कैसा भी हो अच्छा ही माना जाएगा। इसी कारण मैकियावेली राजनीति और नीति शास्त्र को अलग अलग रखता है। और दोहरी नैतिकता की अवधारणा देते हुए कहते हैं, की प्रिंस को राष्ट्रहित में नैतिक मूल्य नहीं मानने चाहिए। जबकि सामान्य जनता को नैतिक मूल्यों के अनुसार ही कार्य करना चाहिए।धर्म के बारे में विचार देते हुए मैकियावेली कहता है, कि धर्म को राजनीति से अलग रखना चाहिए। लेकिन प्रिंस को धर्म का प्रयोग लोगों को व्यवस्थित व नियंत्रित करने के साधन के रूप में करना चाहिए। मैकियावेली भाग्य के बारे में कहता है, कि बुरा वक्त कभी भी आ सकता है। अर्थात भाग्य कभी भी बदल सकता है। तो प्रिंस को बुरे वक्त के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। मैकियावेली भाग्य की तुलना स्त्रियों से करता है।

मैकियावेली की पुस्तकें

मैकियावेली की पुस्तक का नाम द प्रिंस है। इस पुस्तक की विषय वस्तु  राज्य को उत्कृष्ट तरीके से कैसे चलाया जाए है। इसके लिए शासक वर्ग के लिए कुछ निर्देशों के समूह (set of instructions) दिए गए हैं।

मैकियावेली की दूसरी पुस्तक जिसका नाम है द डिस्कोर्स (the discourses)। मैक्यावली राजतंत्र (monarchy) का समर्थक है। वह कहता है, कि जिस समाज में भ्रष्टाचार है, वहां पर आयरन हैंड अर्थात कठोर शासन करना चाहिए। और जहां के लोग अच्छे हैं, वहां पर रिपब्लिक शासन होना चाहिए। लेकिन ओलिगार्की और अरिष्टोक्रेसी के घोर विरोधी है।

मैकियावेली की पुस्तकों की सूची

  • रूल ऑफ प्रिन्सेज
  • द डिसकोर्सेस
  • द प्रिंस
  • द आर्ट ऑफ वार
  • द हिस्ट्री ऑफ ऑफ फ्लोरेंस

मैकियावेली के महत्वपूर्ण कथन

  • “व्यक्ति अपने पिता की मृत्यु को भूल सकता है लेकिन संपत्ति के विनाश को आजीवन नहीं भूलता है।”
  • मैकियावेली का मानना है शक्ति अर्जन ही राजनीति का मूल उद्देश्य है।
  • डनिंग ने मैकियावेली को अपने युग का शिशु कहा है।
  • मैकियावेली ने पंथनिरपेक्ष राजनीति का आधार रखा है।
  • मैकियावेली के विचारों में राष्ट्रवाद की उत्पत्ति का आधार भी मिलता है। 
  • मैकियावेली का मूल उद्देश्य इटली का एकीकरण करना था। 
  • मैकियावेली ने इटली को शक्तिशाली बनाने के लिए ‘नागरिक सेना’ बनाने का विचार अपनी पुस्तक ‘द आर्ट ऑफ वार’ में लिखा है।
  • मैकियावेली फ्यूडल लॉर्ड और चर्च के घोर विरोधी थे।मैकियावेली एक यथार्थवादी, भौतिकवादी तथा एलईटीस्ट विचारक है।

मैकियावेली से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

    • लास्की ने मैकियावेली को चाइल्ड ऑफ रेनेसस (child of renaissance) कहा है।
    • यूरोपियन सेक्युलरिज्म मॉडल के ओरिजनेटर मैक्यावली ही कहलाए जाते हैं।
    • यह एक बहुत बड़े राष्ट्रभक्त थे। और इटली को बहुत महान देश बनाना चाहते थे। इसीलिए इटली का एकीकरण भी करना चाहते थे।
इन्हें भी पढ़े –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *