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राजनीतिक विज्ञान की विचारधारा

राजनीतिक विज्ञान की विचारधारा के PYQ आधारित नोट्स बनाये गए हैं। इसमें फॉसीवाद, नाजीवाद, नव उपनिवेशवाद, तुलनात्मक राजनीति, विवेकपूर्ण चयन का सिद्धांत, सर्वाधिकारवाद, राज्य के स्वरूप, सिद्धांत या विचारधारा या उपागम और उससे संबंधित विद्वान व अन्य महत्वपूर्ण तथ्य से संबंधित विवरण है। जो TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित है।

फॉसीवाद

फासीवाद का उदय प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम स्वरूप हुआ। इटली का तानाशाह मुसोलिनी (1922) फॉसीवाद का जनक है। फासिज्म शब्द इतालवी शब्द फासियो से बना है जिसका आशय डंडों का गठ्ठर जो कुल्हाड़ी के मुठ के चारो ओर लाल फीते बंधा होता है।

अर्थात फासीस शब्द का अर्थ प्राचीन रोम के अधिकारियों की शक्ति के प्रतीक के रूप में डंडों का समूह होता है। फॉसीवादी राज्य (राष्ट्र) को दल से श्रेष्ठ मानते हैं। और राज्य को व्यक्तियों पर एक निरंकुश शक्ति के रूप में स्थापित करते हैं।

फॉसीवाद का नारा ‘एक राष्ट्र, एक दल और एक नेता’ है। मुसोलिनी का कथन है कि प्रत्येक चीज राज्य के लिए है, राज्य के विरुद्ध कोई चीज नहीं है, राज्य के बाहर कुछ भी नहीं है। ऐसी मान्यता सर्वाधिकारवाद की भी है कि सभी कुछ राज्य में निहित है राज्य से बाहर कुछ भी नहीं है राज्य ही सर्वोपरि है।

फॉसीवाद की विशेषताएं

नेता, युद्ध और हिंसा को महत्व
एक व्यक्ति की तानाशाही या महामानव पूजा और वर्ग विशेष में विश्वास।
निरंकुशता, उग्र राष्ट्रवाद, सर्वाधिकारवाद का समर्थक
अंतर्राष्ट्रीयवाद का विरोध
लोकतांत्रिक संस्थान में अविश्वास अर्थात प्रजातंत्र (लोकतंत्र) का विरोधी क्योंकि फॉसीवद व्यक्ति की स्वतंत्रता को पूर्ण रूप से नष्ट कर देता है।
उदारवाद, व्यक्तिवाद और साम्यवाद का विरोधी

फासीवाद के सिद्धांत

अतिराष्ट्रवाद – राष्ट्र को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानते है।
समाज का निगमवादी सिद्धांत
प्रजातीय उत्कृष्टता का सिद्धांत
आज्ञापालन और अनुशासन का सिद्धांत

फॉसीवादियों के अनुसार जनतंत्र का सर्वाधिक वास्तविक रूप अभिजात वर्ग के द्वारा चलाई जाने वाली सरकार में पाया जाता है।
एल्फ्रेडो रोक्को का मानना है कि फॉसीवाद का सिद्धांत, समाजवाद का राष्ट्रवादी रूप है। जबकी फासीवाद पूँजीवादी विचारधारा होने के कारण समाजवाद का घोर विरोध करता है।

नाजीवाद

नाजीवाद का जनक हिटलर था। 1920 में हिटलर द्वारा जर्मनी में नेशनल सोशलिस्ट पार्टी (नाजी दल) की स्थापना की गई।

नव उपनिवेशवाद

नव उपनिवेशवाद प्रभाव क्षेत्र का साम्राज्य है एवं यह आधुनिक साम्राज्यवाद है।
नव उपनिवेशवाद में एक शक्तिशाली राष्ट्र से और अपेक्षाकृत एक कम शक्तिशाली राष्ट्र का संबंध एक आर्थिक उपनिवेश अथवा उपग्रह का होता है।
नव उपनिवेशवाद में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा खनिज सम्पदा एवं उपभोक्ता व्यापार पर नियंत्रण आदि साधनों का प्रयोग किया जाता है।

लोकतंत्र बाजारवादी साम्यावस्था

कैपिटलिज्म, सोसलिज्म एंड डेमोक्रेसी नामक पुस्तक शुम्पीटर की है। शुम्पीटर का कहना है कि लोकतंत्र बाजारवादी साम्यावस्था की भाँति है। शुम्पीटर के अनुसार लोकतंत्र के साथ अभिजातवर्गवाद को अनुकूल बनाने के लिए आनश्यक पूर्वापेक्षाएं-
राजनीतिज्ञों का चरित्र बल ऊँचा होना चाहिए
सुप्रशिक्षित स्वतंत्र नौकरशाही की उपस्थिति
एक सुव्यवस्थित दलीय प्रणाली

राजनीतिक समाजीकरण

राजनीतिक समाजीकरण के संदर्भ में आमंड एवं वर्बा ने प्रभावों के बहुआयामी प्रवाह की चर्चा की है।
संरचनात्मक कार्यात्मक दृष्टिकोण राजनीतिक प्रणाली को साम्राज्यवाद का एक प्रतिनिधि के रूप में देखता है। जिसका प्रतिपादन आमंड और पॉवले ने किया है।

तुलनात्मक राजनीति

द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन कर्ताओं के समक्ष आमंड ने नये उद्देश्य रखे जो इस प्रकार हैं –

  • विस्तृत विचार क्षेत्र की खोज
  • यथार्थवाद की खोज
  • सुनिश्चितता की खोज

तुलनात्मक अध्ययन में अरस्तु ने वैज्ञानिक विधि को अपनाया था। अरस्तु की राज्यों और सरकारों पर तुलनात्मक अध्ययन की विरासत ने ओक्कहम के विलियम को प्रेरित किया था। तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में इतिहासवाद के पतन के कारण निम्न है।

  • प्रत्यक्षवाद
  • दार्शनिक बहुलवाद
  • सांस्कृतिक सापेक्षवाद

शक्ति संतुलन की स्थापना के लिए निम्न साधन है-

  • विभाजन तथा शासन की नीति,
  • मध्यवर्ती राज्य,
  • हस्तक्षेप

विवेकपूर्ण चयन सिद्धांत

विवेकपूर्ण चयन राजनीतिक विश्लेषण का वह उपागम है, जो इस बात की जाँच करता है कि विनिश्चित निर्माता कैसे साधनों को कुशल उपयोग करके अपने साध्य की प्राप्ति कर सकते हैं। इसकी मान्यताएं हैं कि-

  • मनुष्य विवेकशील होता है।
  • साध्य और साधन को सही ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है।
  • शक्ति-धारक शक्ति का प्रयोग अपने हितों की अभिवृद्धि अपने विरोधियों के हितों को रोकने के लिए करते हैं।
  • जोखिम और अवसरों का सही आंकलन किया जा सकता है।

सर्वाधिकारवादी राज्य की विशेषताएं

सार्वजनिक हितों को सरकार परिभाषित करती है।
राजनीतिक विद्रोह (विरोध) देशद्रोह होता है।
राजकीय विचारधारा ही आनंद को परिभाषित करती है।

राज्य के प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण की विशेषताएं

यह राज्य को ऐसी संस्था के रूप में देखती है, जो वर्गहीन समाज को स्थापित करेगी
यह राज्य के प्रति गैर-आलोचनात्मक भक्ति-भाव विकसित करती है।
यह उन संस्थाओँ के बीच अंतर नहीं कर पाती जो राज्य के भाग हैं और जो राज्य के बाहर हैं।
इसकी कमजोरी है कि यह किसी भी संस्था को जो व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करती है राज्य के साथ जोड़ देती है।

राज्य के स्वरूप और उनकी मूल धारणा

  • बहुलवादी राज्य – प्रतिस्पर्धी सामाजिक हितों का विवाचक
  • मार्क्सवादी राज्य – वर्ग व्यवस्था का ध्वंस
  • कल्याणकारी राज्य – विस्तार पर बल
  • उग्र नारीवादी राज्य – पितृसत्ता का उन्मूलन
  • अत्यल्प राज्य – केवल व्यवस्थित जीवन की शर्तों को तय करना
  • विकासवादी राज्य – समृद्धि और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
  • सामाजिक लोकतांत्रिक राज्य – बाजार अर्थव्यवस्था के अन्याय को दूर करना
  • सामूहिकतावादी राज्य – संपूर्ण आर्थिक जीवन पर नियंत्रण रखना
  • सर्वाधिकारवादी राज्य – नागरिक समाज को नष्ट कर देना

सिद्धांत या विचारधारा या उपागम और उससे संबंधित विद्वान –

  • नव संस्थावाद – डगलस सी. नार्थ
  • नव उदारवाद – मिल्टन फ्रीडमैन
  • समुदायवाद – माइकेल वाल्जर
  • व्यवहारवाद – डेविड एप्टर
  • नाजीवाद – हिटलर (जर्मनी)
  • जन-मानस की संकल्पना – मिचेल्स
  • लोकयुद्ध की संकल्पना – माओ
  • अवशेषों की संकल्पना – पैरेटो
  • क्रांति की संकल्पना – अरस्तु
  • अदृश्य साम्राज्य – सेमुएल हंटिंगटन
  • नव उपनिवेशवाद – एनक्रूमा
  • जस्टिस इज फेअरनेस – जॉन रॉल्स
  • द मैक्सिमिन प्रिंसिपल – जॉन सी. हरसाण्यी
  • प्रइमरी गुड्स रिकंसीडर्ड – रिचर्ड जे. अर्नेसन
  • इक्वलिटी ऑफ ह्वाट – अलेक्स कैलिनिकोस
  • प्राकृतिक अधिकार – जॉन लॉक
  • संप्रभुता का एकल सिद्धांत – जॉन ऑस्टिन
  • राज्य उत्पत्ति संबंधी शक्ति सिद्धांत – ओपनहाइमर
  • आधुनिक व्यक्तिवाद – नार्मन एंजेल
  • फेबियनवाद – सिडनी वेब
  • सकारात्मक स्वतंत्रता – हीगेल
  • सुख एवं दुख गणक – बेंथम
  • वैज्ञानिक व्यक्तिवाद – स्पेन्सर
  • लोकतांत्रिक केन्द्रीयतावाद – लेनिन
  • उदारवादी – आर. सी. दत्त
  • अराजकतावादी – एम. के. गाँधी
  • फासीवादी-प्रजातंत्र विश्लेषण – एस. सी. बोस
  • समाज की प्रमुखता – बी. आर. अम्बेडकर

परीक्षाओं में पूंछी गई महत्वपूर्ण पुस्तकें

  • चार्ल्स ई. मेरियम की पुस्तक का नाम न्यू आस्पेक्ट्स ऑफ पालिटिक्स है।
  • एंगल्स की पुस्तक का नाम द ओरिजिन ऑफ फैमिली, प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड द स्टेट (परिवार, संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति) है।
  • पॉलिटिकल ऑर्डर इन चेन्जिंग सोसाइटीज के लेखक सैमुएल हंटिंगटन है।

परीक्षाओं में पूछे गये महत्वपूर्ण कथन

  • गाँधीजी के दार्शनिक विचारों की अराजकतावादी के रूप में व्याख्या की जाती है।
  • नक्रुमा का कथन है कि नव उपनिवेशवाद साम्राज्यवाद की अंतिम अवस्था है।
  • मार्क्सवादी नौकरशही की भर्त्सना खुलेपर और जवाबदेहिता की कमी के लिए करते हैं।
  • एंटोनिओ ग्राम्सी की पुस्तकों का नाम ए ग्रेट एंड टेरिबल वर्ल्ड और प्रिजन नोटबुक है।
  • नागरिक समाज को राजनीतिक व्यवस्था में तीसरा क्षेत्र माना जाता है।
  • राजनीतिक सिद्धांत की शास्त्रीय परंपरा को जाँच की एक साझा विचारधारा माना जाता है क्योंकि इसमें तर्क की शैली एवं तरीके में एकत्व है।
  • राज्य का अस्तित्व जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए है और इसकी निरंतरता सदजीवन के लिए है। – अरस्तु
  • अधिकार सामाजिक जीवन की वे दशाएं है जिनके बिना कोई व्यक्ति सामान्यतः स्वयं अपनी
  • सर्वोत्तम स्थिति में होने का प्रयास नहीं कर सकता। – हैरॉल्ड लास्की
  • अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख – बेंथम
  • प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार और प्रत्येक को उसकी आवश्यतानुसार – मार्क्स
  • आंद्रे गुंद्रे फ्रैंक के अनुसार औद्योगिक पू्ंजीवाद के कारण अधोविकास होता है।
  • इतिहास कुलीन वर्गों का शमशान है यह कथन पैरेटो का है।
  • मैकाइवर के अनुसार राज्य को साहित्य एवं कला पर नियंत्रण सम्बंधित कार्य नहीं करने चाहिए।
  • प्रत्येक विचारक अपने युग का शिशु होता है। यह कथन डनिंग का है। परंतु राजनीतिक विचारकों में मैकियावेली को ही अपने युग का शिशु कहा जाता है।
  • आइजिया बर्लिन का कथन है कि नकारात्मक स्वतंत्रता सकारात्मक स्वतंत्रता से उच्च होती है।
  • विचारधारा संपूर्ण सामाजिक विज्ञान में सर्वाधिक भ्रामक अवधारणा है। यह कथन डेविड मैक्लेलन का है।
  • माइकेल्स का मत है कि अधिकतर मनुष्य उदासीन, अकर्मण्य और चापलूस होते है। परिणामतः नेता जब एक बार शक्ति की पराकाष्ठा पर पहुँच जाते हैं तो उन्हें कोई चीज़ नीचे नहीं गिरा सकती है।
  • माइकेल्स ने अल्पतंत्र का लौह नियम का प्रतिपादन किया है।
  • साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व का अर्थ धार्मिक आधार पर प्रतिनिधित्व होता है।
  • शक्ति एवं राष्ट्रीय हित के साथ यथार्थवाद का विचार परिभ्रामण करता है।
  • मतदान के नियम अप्रजातांत्रिक होते है क्योंकि ये मतदान की निर्णय लेने की आजादी को प्रतिबंधित करते हैं।
  • अराजकतावाद राज्य को एक अनावश्यक बुराई मानता है।
  • आदर्शवाद राज्य को आवश्यक मानता है।

नोट – व्यवहारवादी सिद्धांत के PYQ आधारित नोट्स पढ़ने के लिए क्लिक करें – उदारवादी सिद्धांत

नोट – इससे आगे PYQ आधारित राजनीतिक विज्ञान की विचारधारा के नोट्स पढ़ने के लिए यहाँ व्यक्तिवाद और व्यवहारवाद के नोट्स पर क्लिक करें

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