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समाजवाद के नोट्स

TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित समाजवाद के नोट्स बनाये गए हैं। इसमें समाजवाद का अर्थ, प्रकार और  माओवाद व अन्य महत्वपूर्ण तथ्य से संबंधित विवरण है।

समाजवाद का अर्थ

सर्वप्रथम रॉबर्ट ओवन ने समाजवाद शब्द का प्रयोग 1827 में ओ नाइट कोऑपरेटिव पत्रिका में व्यक्तिवादी और उदारवादी विचारधाराओं के विरुध अपने विचार प्रस्तुत करते हुए किया। समाजवाद का संबंध मुख्यतः श्रमिक वर्ग से है।

समाजवाद ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें सम्पत्ति व उत्पादन के साधनो पर शासन का नियंत्रण होगा, व्यक्तिगत संपत्ति समाप्त होगी व समाज शोषण मुक्त होगा। अतः समाजवादी विचारक प्राकृतिक संसाधनों के राष्ट्रीयकरण का समर्थन करते हैं ताकि प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सके। समाजवदी विचारधारा आर्थिक समानता पर अधिक बल देती है।

क्योंकि समाजवादी राज्य को भलाई का उपकरण मानते है समाजवादियों के अनुसार राज्य के कार्य –

  • कानून और व्यवस्था की स्थापना करना
  • उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण व प्रबंधन
  • शिक्षा को प्रोत्साहन
  • आर्थिक सुरक्षा पर बल देना
  • राज्य के द्वारा नियोजन का कार्य करना

रैम्जे म्योर का कथन है कि समाजवाद परिस्थितियों के अनुसार रंग बदलने वाला गिरगिट का-सा धर्म है।
जबकि जोड का कहना है कि समाजवाद उस टोप की तरह है जिसे इतने व्यक्तियों ने पहना है कि उसका स्वरूप नष्ट हो गया है।

नैतिक समाजवाद

नैतिक समाजवाद की मानवतावादी परंपरा जिसमें मानव मूल्यों और चिंतओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इसके समर्थक विद्वानों में विलियम मॉरिस है।

फेबियन समाजवाद

फेबियन समाजवाद इंग्लैण्ड के जमींदारों (सामंतों) के विरोध स्वरूप अस्तित्व मे आया। जिसमें भूमि को सभी विवादों की जड़ माना गया। फेबियन समाजवाद का विश्वास है कि समाजवाद धीरे-धीरे आयेगा। फेबियनवादी पर जॉन स्टुअर्ट मिल के विचारो का प्रभाव है।
फेबियन समाजवादी मूल्य के सीमांत उपयोगिता सिद्धांत को मानते हैं।

जब से राजनीतिक विज्ञान में व्यक्तियों व संस्थाओं के राजनीतिक व्यवहार और सामाजिक आधारों का अध्ययन होना प्ररंभ हुआ है तब से राजनीति विज्ञान में समाजशास्त्र के सिद्धांतों को स्थान दिया जाने लगा है। जिसे राजनीति विज्ञान का समाजशास्त्रीय उपागम कहते है। इसके प्रमुख समर्थक विद्वान मैक्स वेबर, रावर्ट मिशेल, पैरेटो, इमाइल दुर्खीम आदि है।

श्रेणी समाजवाद

श्रेणी समाजवाद (Guild Socialism) का संबंध ब्रिटेन से है। यह राजनीतिक आंदोलन है जो छोटे-छोटे श्रमिक संगठनों द्वारा उद्योगों का नियंत्रण करना चाहते है। जी. डी. एच. कोल ने इसे व्यवसायिक लोकतंत्र की संज्ञा दी है। जिसे अवधारणा का रूप ए. आर. आरेज और ए. जे. पेन्टी ने दिया। श्रेणी समाजवाद को ब्रिटिश फेबियनवाद तथा फ्रांसीसी श्रमिक संघवाद का बौद्धिक शिशु कहा जाता है। यह फ्रांस के श्रम संघवाद तथा इंग्लैंड के फेबियनवाद का मिश्रण है। श्रेणी समाजवाद एक व्यक्ति जितने हित उतने मत का समर्थन करता है।

सिंडिकेलिस्ट समाजवाद में श्रमिक संघ और व्यापक हड़ताल पर अधिक जोर दिया गया।

माओवाद

माओ ने प्रतिरोधी तथा अप्रतिरोधी अंतर्विरोध के बीच अंतर किया। संघर्ष समाप्त नहीं होता बल्कि एक नया रूप धारण कर लेता है।
माओ के द्वारा किए गए जन आन्दोलन –

  • सैकड़ों फूल खिलने दो और अनेक विचार संप्रदायों को शामिल होने दो – यह सर्वप्रथम जन आंदोलन था।
  • छलांगे भरकर आगे बढ़ने का महान आंदोलन
  • लोह और इस्पात की लड़ाई
  • सांस्कृतिक क्रांति

माओ के कथन –

  • राजनीतिक शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।
  • कठोर परिश्रम के तीन वर्ष, खुशियों के दस हजार वर्ष।
  • क्रांति एक रात्रिभोज आयोजन नहीं है।

मार्क्सवादी चिंतक और उनके मूल विचार

  • लेनिन – क्रांति का अग्रदल
  • रोजा लक्जमबर्ग – जनता की स्वतः स्फूर्तता
  • माओ-त्से-तुंग – जन दिशा
  • ग्राम्शी – निष्क्रिय क्रांति

समाजवाद के सिद्धांत और सम्बंधित विद्वान

  • विकासवादी समाजवाद – बर्नस्टीन
  • वैज्ञानिक समाजवाद – कार्ल मार्क्स
  • काल्पनिक समाजवाद – सेंट साइमन
  • अराजकतावाद – क्रोपोटकिन

अन्य तथ्य

राम मनोहर लोहिया का कथन है कि समादवाद को मैं अपने मस्तिष्क एवं हृदय में रखता हूँ।
जार्ज बर्नाड शॉ का कथन है कि समाजवाद का अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
अभिसरण सिद्धांत में उन्नत पूँजीवाद और विकसित समाजवाद का उल्लेख किया गया है।

नोट –वैज्ञानिक समाजवाद (मार्क्सवाद) के PYQ आधारित नोट्स पढ़ने के लिए यहाँ वैज्ञानिक समासवाद के नोट्स  पर क्लिक करें

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