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थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार

थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार के PYQ आधारित नोट्स (Notes) बनाये गए हैं। जिसमें हॉब्स के सामाजिक समझौते का सिद्धांत, हॉब्स की संप्रभुता तथा परिक्षाओं में पूछे गए अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों का विवरण है। जो TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित है।

थॉमस हॉब्स का परिचय

    • थॉमस हॉब्स का जीवनकाल 1888 से 1679 ईसवी तक रहा।
    • इसी दौर में थॉमस हॉब्स पीयूरिटन रिवॉल्यूशन (Puritan Revolution) 1641 के साक्षी बने। जो हिंसक रूप से की जा रही थी। यह क्रांति कैथोलिक्स, जिसका समर्थन चर्च कर रहा था। तथा प्रोटेस्टेंट, जिस के समर्थन में राजा था; के बीच की हुई थी। जो चर्च के द्वारा राज्य के कार्य में हस्तक्षेप के कारण हुई थी। जिसके कारण से ना तो जीवन की सुरक्षा थी और ना ही संपत्ति की सुरक्षा थी। जिसका थॉमस हॉब्स पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
    • थॉमस हॉब्स ब्रिटेन से संबंधित है। यह एक पैसिमिस्ट अर्थात नेगेटिव विचारधारा वाले विचारक हैं। इसकी नास्तिकता, ईश्वर और धर्म की निंदा व श्रद्धा हीनता के कारण भर्त्सना की जाती है।

थॉमस हॉब्स की अध्ययन-पद्धति

थॉमस हॉब्स की अध्ययन पद्धति (मेथाडोलॉजी) (Methodology) वैज्ञानिक (साइंटिफिक) है इनकी कार्य-पद्धति पर गैलीलियो का प्रभाव है इसी कारण इन्होंने रिजॉल्यूट कम्पॉजिटिव मेथड (Resolutive Compositive Method) को अपनाया है। इस पद्धति में किसी जटिल अवधारणा को छोटे-छोटे खंडों में बांट कर विश्लेषण किया जाता है। तथा उनमें आपसी संबंध स्थापित करके अध्ययन किया जाता है। डिस्कार्टिस की पद्धति भी यही थी।

थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार

थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार उसकी ‘लेवियाथन’ (1651) नामक पुस्तक में है। हॉब्स के लेवियाथन में प्रयुक्त ‘कॉमनवेल्थ’ शब्द का अर्थ ‘सम्प्रभु’ है। थामस हॉब्स ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि उसकी माँ ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया स्वंय उसे तथा डर को।

हॉब्स का राजनीतिक सिद्धांत नाममात्रवाद पर आधारित है। थॉमस हॉब्स ने प्राकृतिक विज्ञान (ज्यामिति, भौतिकी और मनोविज्ञन) के सिद्धांत से प्राप्त अवधारणा के आधार पर अपने राजनीतिक दर्शन का निर्माण किया है। थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार में हॉब्स का मानना है कि मनुष्य मूलतः कणों से बना है जो अपनी गतिज विशेषता से कार्य करता रहता है।हॉब्स के शब्दों में “व्यक्ति और संपूर्ण जगत भौतिक अणुओं के समुच्चय से निर्मित हुआ है।”

हॉब्स के अनुसार समस्त अस्तित्व एकदम गतिशील पदार्थ है। उसका मानना है प्रत्येक घटना एक गति के रूप में घटित होती है। यदि हम प्राकृतिक क्रियाओं को समझना चाहते है तो हमें प्रकृति की मूल गतियों को समझना चाहिए। इसलिए हॉब्स को राजनीति का गैलीलियो कहा जाता है।

थॉमस हॉब्स के विचारों को उपयोगितावाद के दार्शनिक अतिवाद में शामिल किया गया है। इसमें वह उपयोगितावादी विचारकों का अग्रगामी है।

हॉब्स अरस्तु की उपेक्षा करने वाला पहला आधुनिक विचारक है। हॉब्स अरस्तु के विचारों को पूरी तरह अस्वीकार करता है।

हॉब्स का कथन है कि “ज्ञान का अंत, शक्ति है।” हॉब्स ने लोकतंत्र को शासन के आदर्श रूप में स्वीकार नहीं किया है।

थॉमस हॉब्स का सामाजिक समझौता

थॉमस हाब्स का सोशल कॉन्ट्रैक्ट सिद्धांत जिसके अंतर्गत राज्य का अस्तित्व एक कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होता है। आधुनिक राज्य इसी प्रकार के हैं। जिसमें संविधान एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह है। इसी कारण राज्य को मनुष्य के द्वारा एक मशीन की तरह बनाया हुआ माना जाता है। जो मनुष्य की सेवा के लिए है। इस दृष्टिकोण को मशीनी कृत (Mechanistic) दृष्टिकोण कहा जाता है।

सामाजिक संविदा सिद्धांत के अंतर्गत चार तत्व हैं।

    1. मानव व्यवहार का विवरण –
        • मानव व्यवहार को समझने के लिए थॉमस हॉब्स ने वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग किया। जिसके आधार पर मानव के कार्यों को दो वर्गों में विभाजित किया। पहला जिसमें व्यक्ति कोई कार्य करता है। जिसे इंक्लिनेशन (Inclination) नाम दिया है। दूसरा जिसमें कोई व्यक्ति कार्य नहीं करता है। उसे एवर्जन (Aversion) नाम दिया है। इसी आधार पर उन्होंने मनुष्य को प्राकृतिक रूप से उपयोगिता वादी (Utilitarian) तथा व्यक्तिवादी (Individualistic) बताया है। 
    1. प्रकृतिक राज्य –
        • प्रकृतिक राज्य, यह एक काल्पनिक अवधारणा है। जिसमें राज्य अराजकतावादी तथा शक्ति के लिए संघर्ष का स्थान था। जिसमें स्वतंत्रता तो पूर्ण थी लेकिन सुरक्षा बिल्कुल भी नहीं थी।
    1. संविदा –
        • संविदा, मनुष्य अपने जीवन की सुरक्षा के लिए करता है जिससे मनुष्य सुख को प्राप्त कर सके।
    1. संविदा के परिणाम –
        • राज्य और सरकार का निर्माण।

हॉब्स की प्राकृतिक अवस्था

हॉब्स प्राकृतिक अवस्था को पूर्व सामाजिक अवस्था मानता है। हॉब्स के अनुसार प्राकृतिक अवस्था में मानवीय जीवन एकाकी, निर्धन (दीन-हीन), घृणित (निंदनीय), अकाल्पनिक, पाश्विक और क्षणभंगुर (क्षुद्र, घिनौना, पशुवत और अल्पायु) होता है। प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे का शत्रु होता है। क्योंकि मनुष्य अपने सुख के लिए दूसरों को अपने अधीन करने का प्रयास करता है। इस प्रकार प्राकृतिक अवस्था में हिंसा और युद्ध था और हर व्यक्ति का सब लोगों के विरूद्ध युद्ध था।

थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार में मनुष्य प्रकृति से स्वार्थी होता है और अन्यथा हो ही नहीं सकता है। मनुष्य स्वयं के लिए वो सभी खुशी ला सकते है, जो वे चाहते है। और समस्त राज्य भक्ति सहमति पर आधारित होती है। हॉब्स की प्राकृतिक अवस्था शक्ति ही सत्य है की धारणा पर आधारित है। सिद्धांतवादी हॉब्स ने कहा है “मैं समस्त मानवजाति की एक सामान्य प्रवृत्ति, एक के बाद दूसरी शक्ति प्राप्त करने की शाश्वत तथा अनवरत अभिलाषा को प्रस्तुत करता हूँ, जो केवल मृत्यु के साथ ही समाप्त होती है।”

हॉब्स के लिए ‘फेलिसिटी’ का अर्थ यह है कि उन वस्तुओं को निरन्तर प्राप्त करने में सफलता पाना है, जिनको मनुष्य पाने के लिए समय-समय पर इच्छा करता है।

सामाजिक समझौता

इस प्राकृतिक अवस्था की अराजकता से बचने और प्राकृतिक कानून की कुछ खास असुविधाओं को समाप्त करने के लिए लोगों ने आपस में समझौता किया। हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को अपने जीवन रक्षा अधिकार को छोड़कर अन्य सभी अधिकार सैंप दिए। हॉब्स के शब्दों में “मैं अपने ऊपर शासक करने का अपना अधिकार इस व्यक्ति अथवा जनसभा को इस शर्त पर सौंपने की स्वीकृति देता हूँ कि तुम भी अपने अधिकार इसको सौपोगे और इस तरह उसके सभी कार्यों की स्वीकृति दोगे।”

अतः हॉब्स के सामाजिक समझौते (अनुबंध) सिद्धांत का सार तत्व सभी लोगों का सम्प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण है। अतः यह समझौता शासक और लोगों के बीच नहीं अपितु लोगों के बीच हुआ। जिसमें शासक एक पक्ष नहीं था। इसी सम्बंध में एवनेस्टीन का कथन है कि हॉब्स का सामाजिक समझौता प्रजाजनों के बीच होता है। सम्प्रभु समझौते की हिस्सा नहीं बल्कि समझौते का परिणाम है। अर्थात समझौते से अत्पन्न होता है।

हॉब्स के अनुसार वास्तविक कानून उसका आदेश है जिसे दूसरों को आदेश देने का अधिकार प्राप्त है। हॉब्स के लिए केंद्र बिंदु सत्ता है, न कि अधिकार क्योंकि हॉब्स का मानना है कि व्यक्ति के बीच सहमति जुटाना कठिन है। हॉब्स का कथन है, तलवार के बिना प्रसंविदा मात्र शब्द है।

हॉब्स की सम्प्रभुता

हॉब्स संविदावादी विचारक है। थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचारों ने संविदा के माध्यम से निरंकुश संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। और सम्प्रभु की परम शक्तियों को औचित्यपूर्ण बताने के लिए निगम की अवधारणा का प्रयोग किया है। परंतु वह प्रजा को यह अधिकार भी देता है कि जीवन की रक्षा (आत्म-परिरक्षण) के लिए शासक की आज्ञा पालन से इनकार किया जा सकता है। और आवश्यक होने पर शासक को हटाया भी जा सकता है। इस प्रकार हॉब्स वैधानिक संप्रभुता का समर्थन करता है। हॉब्स के अनूसार कानून सम्प्रभु का आदेश है। सम्प्रभु पर कानून का कोई नियंत्रण नहीं है।

सामाजिक समझौते के साथ संप्रभु राज्य या निरंकुश सम्प्रभुता की अवधारणा को हॉब्स ने जोड़ा है। निरंकुश सम्प्रभुता का सर्वाधिक सशक्त समर्थक हॉब्स को ही माना जाता है।

प्राकृतिक अधिकार

थॉमस हॉब्स के राजनीतिक विचार में हॉब्स ने दैवीय अधिकार के सिद्धांत का खंडन किया है। अतः हॉब्स प्राकृतिक अधिकार का समर्थन करता है। वह आत्मरक्षा के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार मानता है। हॉब्स के अनुसार प्राकृतिक अधिकार का आशय, प्रत्येक मानव को आत्मरक्षा हेतु आवश्यक समस्त कार्यों को करने की स्वतंत्रता से है।

हॉब्स के अनुसार प्रजा को संप्रभु के विरुद्ध प्रतिरोध या विद्रोह का अधिकार है यदि संप्रभु प्रजा के जीवन को सुरक्षित नहीं रख पाता है या उनके जीवन को भयक्रांत करता है।

सेबाइन का कथन है कि प्राकृतिक कानून और नागरिक समाज के मध्य स्पष्ट अंतर करके, हॉब्स ने विश्लेषणात्मक विधिशास्त्र की उस पद्धति की आधारशिला रखी जिसे बाद में बेंथम और आस्टिन द्वारा विकसित किया गया।

परिक्षाओं में पूछे गए अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • जी. एच. सेबाइन का कथन है हॉब्स का नाम सामान्यतः सम्प्रभु के निरंकुश शक्ति के सिद्धांत के साथ जोड़ा जाता है किन्तु यह सिद्धांत उसके व्यक्तिवाद का आवश्यक सम्पूरक था। सेबाइन ने हॉब्स की प्रशंसा में कहा कि अंग्रेजी भाषा-भाषी जातियों ने जितने भी राजनीतिक दार्शनिकों जन्म दिया है उनमें हॉब्स कदाचित महानतम (सबसे महान) है।
  • क्लेरेन्डन का मानना है कि लेवियाथन क्रीमवेल या क्रामवेल की चापलूसी में लिखा गया था। उसके शब्दों में “मैंने कभी कोई ऐसी पुस्तक नहीं पढ़ी जिसमें इतना राजद्रोह, विश्वासघात औौर धर्मद्रोह भरा हो।” उसने हॉब्स की पुस्तक लेवियाथन को जलाया दिया।
  • ओकशॉट का कथन है कि हॉब्स का लेवियाथन सर्वश्रेष्ठ ही नहीं बल्कि एक मात्र राजनीतिक दर्शन का ग्रंथ है जो अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है।
  • सी. ई. वाहन का कथन है कि यदि लेवियाथन इतिहास के मूलभूत सिद्धांत के रूप में निरुपयोगी है, तो यह राजनैतिक सिद्धांत के रूप में भी निष्फल है।
  • वेपर का कथन है “हॉब्स प्रथम आधुनिक विचारक है जिसने राज्य को विविध हितों का संबंधरकर्ता माना।
  • थॉमस हॉब्स पहले आधुनिक राजनीतिक विचारक हैं।
    • थॉमस हॉब्स ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम लेवियाथन (जिसका अर्थ होता है समुद्री राक्षस) है।थॉमस हॉब्स व्यक्तिवादी विचारक हैं। यह राज्य की तुलना में व्यक्ति को अधिक महत्व देते हैं।
    • थॉमस हॉब्स बुर्जुआ वर्ग अर्थात पूंजीपतियों का समर्थन करते हैं
    • यह भौतिकवादी तथा उपयोगिता वादी विचारक हैं इनका संबंध सोशल कॉन्ट्रैक्ट (सामाजिक संविदा) परंपरा से है।
    • थॉमस हॉब्स ऐसे पहले विचारक हैं, जिन्होंने जीवन के अधिकार का सिद्धांत दिया (Theory of right to life) ।
    • थॉमस हॉब्स ने ही पहली बार पूर्ण संप्रभुता का सिद्धांत दिया (Complete theory of sovereignty)। इसी कारण थॉमस हॉब्स ने चर्च को भी राज्य के अंतर्गत माना है। और राज्य को संपूर्ण शक्ति  (Absolute power) देते हैं।
    • यूटिलिटेरियन की अवधारणा बेंथम ने दी है। थॉमस हाब्स के अनुसार इसके अंतर्गत कहा गया है कि व्यक्ति किसी दूसरे के सुख और दुख का अनुभव नहीं कर सकता। जिस कारण यह सभी पुरुषों को समान मानते हैं। पुरुष प्राय: अपने पैशन अर्थात ऐपेटाइट से निर्देशित होता है। जिसके माध्यम से सुख प्राप्त करता है।
    • कार्ल मार्क्स कहता है कि थॉमस हॉब्स हम सभी के पिता हैं।
    • स्वतंत्रता वहीं तक है, जहां तक कानून शांत है -थॉमस हॉब्स
    • थॉमस हॉब्स सकारात्मक कानून को भी मान्यता देते हैं प्रकृति कानूनों को नहीं। प्लेटो और अरस्तू प्राकृतिक कानूनों को मान्यता देते हैं। सकारात्मक कानून वह कानून होता है। जो राज्य के द्वारा बनाया जाता है। इसी के द्वारा शांति स्थापित होती है। क्योंकि इसमें दंड की शक्ति निहित होती है। और डर के द्वारा अधिकार स्थापित किया जाता है।

“Life of a man is a continuous search for power after power which cases only with his death” – Thomas hobbs

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