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व्यक्तिवाद और व्यवहारवाद के नोट्स

TGT Civics, PGT Civics, LT Civics, GIC Political Science, UGC NET Political Science, Political Science Assistant Professor, UPPSC etc. के विगतवर्षों में आयोजित परीक्षाओं के प्रश्नो पर आधारित राजनीतिक विज्ञान की विचारधारा के नोट्स बनाये गए हैं। इसमें व्यक्तिवाद, व्यहारवाद  व अन्य महत्वपूर्ण कथन से संबंधित विवरण है।

व्यक्तिवाद

उदारवाद के प्रारंभिक चरण को व्यक्तिवाद कहा जाता है। जिसके अनुसार राज्य साधन है, साध्य नहीं। व्यक्तिवाद राजनीतिक सिद्धांत की ऐसी विचारधारा है जो नागरिकों के व्यक्तिगत जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप का समर्थन करती है।
व्यक्तिवादियों का मानना है की राज्य एक आवश्यक बुराई है।
गिलक्राइस्ट के अनुसार व्यक्तिवाद राज्य नियंत्रण ती बुराइयों का अतिरंजित करता है।
शास्त्रीय व्यक्तिवाद का समर्थक स्पेन्सर, एडम स्मिथ, जे एस मिल, जेरेमी बेन्थम है।

व्यक्तिवादी विचारक मिल गुणसापेक्ष समाजवाद का अधिवक्ता कहा जाता है।

व्यक्तिवाद नैतिक, राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा है जो व्यक्ति केंद्रित है और व्यक्ति को विशिष्ट प्राणी मानती है। इसी लिए व्यक्तिवाद व्यक्ति का पूर्ण स्वतंत्रता और आत्मनिर्भता पर बल देता है।
वैज्ञानिक व्यक्तिवाद की अनधारणा का विकास हरबर्ट स्पेन्सर ने किया। स्पेन्सर ने चार्ल्स डार्विन के योग्यतम की उत्तरजीविता या अनुकूलतम की अतिजीविता (सर्वाइवेल ऑफ द फिटेस्ट) के सिद्धांत के आधार पर अपने विचार रखते हुए कहा कि राज्य को व्यक्ति के संबंध में अहस्तक्षेप की नीति को अपनाना चाहिए और दीन-हीन की सहायता नहीं करनी चाहिए ऐसा करना उनके विकास में बाधक होगा।

आधुनिक व्यक्तिवाद का प्रणेता ग्राहम वालास को माना जाता है। आधुनिक व्यक्तिवाद व्यक्ति की अपेक्षा समुदाय व संस्थाओं को अधिक महत्व देता है।

रॉल्स के सिद्धांत में न्याय निष्पक्षता के विचार का प्रवाह व्यक्ति से है। उसका न्याय सिद्धांत व्यक्ति केन्द्रित है। रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय की संज्ञा दी है।

व्यक्तिवादी राजनीतिक सिद्धांत में राज्य को एक आवश्यक बुराई मानते है।
व्यक्तिवाद अहस्तक्षेप की नीति (यद्भाव्यम सिद्धांत) को मानता है। अहस्तक्षेपवादी विद्वानों में हरबर्ट स्पेन्सर, मिल, नॉजिक, हेयक, फ्रीडमैन हैं।
लास्की के द्वारा व्यक्तिवाद का नैतिक औचित्य प्रस्तुत किया गया।

व्यक्तिवाद और समाजवाद परस्पर विरोधी विचारधारा है।

व्यवहारवाद

डेविड ईस्टन व्यवहारवाद का जनक कहा जाता है इसे ही व्यवस्था सिद्धांत या आगत निर्गत सिद्धांत का जनक भी कहा जाता है। जबकि चार्ल्स मेरियम को व्यवहारवाद का बौद्धिक जनक कहा जाता है

व्यवहारवाद के अंतर्गत राजनीतिक (शासक) वर्ग, नौकरशाही और नागरिकों के व्यवहार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।

डेविड ईस्टन के व्यवहारवाद सिद्धांत के लक्षण निम्न है-
डेविड ईस्टन के व्यवहारवाद सिद्धांत के आठ बौद्धिक आधार है। नियमितता, सत्यापन (प्रमाणीकरण), तकनीक, गणना, मूल्य निरपेक्ष, व्यवस्थाबद्धीकरण, विशुद्ध विज्ञान, समग्रता (एकाकीकरण)

उत्तर व्यवहारवाद उपादेयता (प्रासंगिकता) और कृत्य पर जोर देता है। यह प्रतिमान तथ्यों को बनाए रखते हुए मूल्यों के सामन्जस्य पर बल देता है।

उत्तर व्यवहारवादी क्रांति प्रांरभ करने के लिए व्यवहारवाद पर सर्वप्रथम आक्रमण 1960 के दशक में डेविड ईस्टन ने किया।

व्यवहारवादी चिंतक चार्ल्स ई. मेरियम की पुस्तक का नाम न्यू आस्पेक्ट्स ऑफ पालिटिक्स है।

रावर्ट डहल के अनुसार “व्यवहारवाद परंपरागत राजनीतिक विज्ञान में एक आंदोलन है”।

व्यवहारवाद के प्रमुख तत्व

मनुष्य के राजनीति व्यवहार के अध्ययन पर अधिक बल दिया।

राजनीति विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान पर आधारित है।

राजनीति विज्ञान को मूल्य निरपेक्ष बनाने के साथ तथ्यों के अध्ययन पर अधिक बल दिया।

“अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में जिस राजनीति का जन्म हुआ उसे शक्तिवादी राजनीति कहा जाता है।”

नोट – प्रारंंभ से PYQ आधारित राजनीतिक विज्ञान की विचारधारा के नोट्स पढ़ने के लिए यहाँ राजनीतिक विज्ञान की विचारधारा के नोट्स – भाग 1 पर क्लिक करें

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